(डॉ. इंदु खोसला, सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी, नारायणा हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रन हॉस्पिटल)
मुंबई, दिव्यराष्ट्र/ विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर यह समझना आवश्यक है कि निमोनिया आज भी बच्चों के लिए एक गंभीर और तेजी से फैलने वाला फेफड़ों का संक्रमण है। यह दुनिया भर में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। हालांकि, सही जानकारी, सावधानी और समय पर उपचार से इस बीमारी को बड़े पैमाने पर रोका और नियंत्रित किया जा सकता है।
निमोनिया तब होता है जब संक्रमण से लड़ते समय फेफड़ों की हवा भरी थैलियों (अल्वियोली) में तरल या पस भर जाती है। इससे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है और शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह संक्रमण अधिकतर बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है और खाँसी, छींक, दूषित सतहों के संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के पास रहने से फैल सकता है। बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अभी विकसित हो रही होती है और उनकी श्वसन नलियाँ संकरी होती हैं, इस कारण वे इस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
निमोनिया के लक्षणों में तेज़ बुखार, लगातार खाँसी, तेज या कठिन सांस लेना, सीने में दर्द, भूख में कमी, असामान्य थकान, चिड़चिड़ापन और कभी-कभी उल्टी शामिल हो सकती है। लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। यदि कोई बच्चा सांस लेने में अत्यधिक संघर्ष कर रहा हो या अत्यंत कमजोर दिखाई दे तो उसे तुरंत अस्पताल में चिकित्सीय देखभाल की आवश्यकता होती है।
निमोनिया की रोकथाम संभव है। स्वच्छ हवा और अच्छी स्वच्छता इसकी रोकथाम के मुख्य आधार हैं। बच्चों को धुएँ और प्रदूषण से दूर रखना, घर के कमरों में पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित करना और नियमित हाथ धोने की आदत विकसित करना फेफड़ों को सुरक्षित रखने में मदद करता है। इसके साथ-साथ संतुलित और पौष्टिक आहार प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है, जिससे शरीर संक्रमण से बेहतर तरीके से लड़ पाता है।
टीकाकरण निमोनिया के खिलाफ सबसे प्रभावी सुरक्षा है। समय पर दिए गए टीके बच्चों को उन प्रमुख बैक्टीरिया और वायरस से बचाते हैं, जो निमोनिया का कारण बनते हैं। निर्धारित वैक्सीनेशन शेड्यूल का पालन करने से फेफड़ों के संक्रमण का जोखिम काफी कम हो जाता है।
अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें और निमोनिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानें। यदि बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही है या वह असामान्य रूप से सुस्त दिखाई दे रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लेने में देरी न करें। हर बच्चे का अधिकार है कि वह साफ हवा और सुरक्षित वातावरण में स्वस्थ रूप से बड़ा हो। जागरूकता, सावधानी और समय पर उपचार से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कोई भी बच्चा ऐसी बीमारी का शिकार न बने, जिसे रोका और पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।