
(दिव्यराष्ट्र के लिए सुनील कुमार चाष्टा सुरुप अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जिला सलूम्बर)
पर्युषण पर्व जैन धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण उत्सव है, जो आत्म-शोधन, तपस्या, और अहिंसा पर केंद्रित है. इस पर्व में प्रतिक्रमण (आत्मा का आत्म-निरीक्षण), उपवास, जप, ध्यान और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया जाता है. पर्व का समापन ‘क्षमापना दिवस’ या ‘मिच्छामी दूक्कडम’ के साथ होता है, जहाँ जैन लोग एक-दूसरे से क्षमा मांगते और देते हैं. यह पर्व सभी मनुष्यों को शांति और मैत्री का संदेश देता है.
पर्युषण पर्व की विशेषताए
आत्म-शोधन और आत्म-निरीक्षण:पर्युषण शब्द का अर्थ ‘आत्मा में अवस्थित होना’ या ‘आत्म-चिंतन करना’ है, जो इस पर्व का मूल उद्देश्य है.
तपस्या और व्रत:इस दौरान जैन धर्मावलंबी उपवास, संयमित भोजन और अन्य प्रकार की तपस्याएँ करते हैं.
प्रतिक्रमण और क्षमापना:पर्व की शुरुआत प्रतिक्रमण से होती है, जिसमें पिछले वर्ष की गलतियों और पापों को स्वीकार किया जाता है. इसके समापन पर क्षमापना दिवस मनाया जाता है, जहाँ ‘मिच्छामी दूक्कडम’ कहकर सभी को क्षमा किया जाता है.
अहिंसा और मैत्री:यह पर्व अहिंसा और मैत्री के संदेश पर जोर देता है, और सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव रखने के लिए प्रेरित करता है.
धार्मिक ग्रंथों का वाचन:पर्युषण पर्व के दौरान कल्प-सूत्र जैसे जैन ग्रंथों का सार्वजनिक पाठ किया जाता है.
श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा
श्वेतांबर इस पर्व को श्रावण कृष्ण त्रयोदशी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तक मनाया जाता है।
दिगंबर जैन इस पर्व को भाद्रपद शुक्ल पंचमी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक मनाया जाता हैं।
जैन धर्म के लोगों के लिए दशलक्षण पर्व का खास महत्व है, जिसे क्षमावाणी पर्व, संवत्सरी और पर्यूषण पर्व के नाम से जाना जाता है। दसलक्षण पर्व दस दिनों तक चलता है, जिसमें हर दिन एक विशेष धर्म का पालन किया जाता हैं
दस लक्षण महापर्व के दोरान जिन दस धर्मों की आराधना की जाति है वे इस प्रकार हैं
प्रथम दिन- उत्तम क्षमा
पर्यूषण पर्व के पहले दिन जैन अनुयायी क्षमा यानी माफ करने के गुणों का चिंतन करते हैं
दूसरे दिन- उत्तम मार्दव
दूसरे दिन व्यवहार में नम्रता व सरलता लाने का प्रयास करते हैं।
तीसरे दिन- उत्तम आर्जव
पर्यूषण पर्व के तीसरे दिन भावों की शुद्धता पर ध्यान दिया जाता है।
चौथे दिन- उत्तम शौच
इस दिन मन में किसी भी तरह का लोभ न आए, इसका चिंतन किया जाता है।
पांचवें दिन- उत्तम सत्य
पांचवें दिन सत्य की राह पर चलने का प्रयास किया जाता है। साथ ही जीवन में इसे अपनाने का संकल्प लिया जाता है।
छठे दिन- उत्तम संयम
पर्यूषण पर्व के छठे दिन मन, वचन और शरीर पर काबू कैसे किया जाए, इसका चिंतन किया जाता है।
सातवें दिन- उत्तम तप
मन में उत्पन्न होने वाले गलत विचारों को दूर करने के लिए सातवें दिन तपस्या की जाती है।
आठवें दिन- उत्तम त्याग
आठवें दिन आत्म-शुद्धि के लिए क्रोध, माया और लोभ का त्याग करने का प्रयास किया जाता है।
नौवें दिन- उत्तम आकिंचन
इस दिन किसी भी चीज से मोह न करना, बल्कि धन-संपत्ति के बंधनों से मुक्त करके खुद को धर्म की राह पर ले जाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
दसवें दिन- ब्रह्मचर्य
पर्यूषण पर्व के दसवें दिन सद्गुणों का अभ्यास करके खुद को हर परिस्थिति में पवित्र रखने पर चिंतन किया जाता है। साथ ही इस दिन क्षमावाणी का पर्व मनाया जाता
पर्युषण पर्व आत्म-नियंत्रण, आंतरिक शुद्धिकरण, और सार्वभौमिक मैत्री को बढ़ावा देने का एक अनूठा पर्व है. यह भौतिकतावादी जीवन में संतुलन और शांति लाने का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता है.।