
बीएमकॉन हेम कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन ब्लड कैंसर पर नई थेरेपीज़ पर चर्चा
जयपुर। दिव्यराष्ट्र* भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल की ओर से चल रही तीन दिवसीय बीएमकॉन हेमः हीलिंग थ्रू हीमैटोलॉजी कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन देशभर से आए विशेषज्ञों ने ब्लड कैंसर के आधुनिक उपचारों पर चर्चा की। इसमें सामने आया कि नई तकनीकें और टार्गेटेड थेरेपीज़ ब्लड कैंसर मरीजों के लिए बेहतर और प्रभावी उपचार की राह खोल रही हैं।
अहमदाबाद के डॉ. अंकित जितानी ने डीएलबीसीएल में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और एंटीबॉडी ड्रग कॉन्जुगेट्स पर व्याख्यान दिया। इसके बाद पैनल डिस्कशन में विशेषज्ञों ने रिलेप्स/रिफ्रैक्टरी डीएलबीसीएल के उपचार को पुनर्परिभाषित करने पर अपने विचार साझा किए। मुंबई के डॉ. प्रशांत टेम्भरे ने टी-सेल/एनके-सेल नॉन-हॉजकिन्स लिम्फोमा में फ्लो साइटोमेट्री इम्यूनोफेनोटाइपिंग की अहम भूमिका समझाई।
सबसे चर्चित सत्रों में से एक रहा दिल्ली के डॉ. विपुल शेट का टॉक कार-टी सेल थेरेपी पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने बताया कि यह थेरेपी मरीज की टी-कोशिकाओं को लैब में जेनेटिकली मॉडिफाइड कर वापस शरीर में डालने की तकनीक है, जिससे ये कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर नष्ट कर देती हैं। अभी तक यह इलाज मुख्य रूप से ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोमा जैसे ब्लड कैंसर में उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, इसकी लागत चुनौती हैं, लेकिन भारतीय शोध संस्थानों द्वारा विकसित स्वदेशी कार-टी थेरेपी भविष्य में मरीजों के लिए इसे अधिक सुलभ और किफायती बना सकती है।
अहमदाबाद के डॉ. नीरज अरोड़ा ने मायलोमा जीनोमिक प्रोफाइलिंग और लखनऊ के डॉ. संजीव यादव ने एएमएल में एलोजेनिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन पर चर्चा की। दूसरे दिन का समापन सीएलएल पर केस बेस्ड डिस्कशन से हुआ, जिसमें देशभर के विशेषज्ञों ने व्यावहारिक अनुभव साझा किए। ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में कई नई तकनीकें, कार-टी सेल थेरेपी और टार्गेटेड उपचार ब्लड कैंसर मरीजों के लिए बेहतर और प्रभावी उपचार पर चर्चा की जा रही है।