
नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र* मॉस्को फ़ैशन वीक सफ़लतापूर्वक संपन्न हो गया है, जिसने अंतर्राष्ट्रीय फ़ैशन कैलेंडर पर एक डायनामिक और ज़रूरी मंच के तौर पर अपने महत्व को दोबारा साबित किया है। ये आयोजन वैश्विक सांस्कृतिक संवाद में रूस की बढ़ती भूमिका का एक मज़बूत प्रमाण रहा, जिसमें 13 देशों के डिज़ाइनर्स के कलेक्शन पेश किए गए और ख़ासकर भारत के एक सशक्त और प्रभावशाली प्रतिनिधिमंडल के साथ महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संवाद को बढ़ावा मिला।
मॉस्को फैशन वीक में शांतनु और निखिल*
मॉस्को फ़ैशन वीक के मुख्य आकर्षणों में से एक रहा टॉप भारतीय डिज़ाइनर्स की अहम भागीदारी। मशहूर ब्रांड शांतनु एवं निखिल का पहला ऑल-वुमेन्स क्यूट्योर संग्रह अमौर 1930 के दशक से प्रेरित था, जिसमें आर्किटेक्चर के सिल्हूट और खूबसूरत हाथ की कढ़ाई का शानदार मेल था। पवन सचदेवा ने शोरूम के अपने ख़ास शहरी, सुसंस्कृत स्टाइल्स पेश किए, जिसने युवा दर्शकों और खरीदारों, दोनों का खूब ध्यान आकर्षित किया।
डिज़ाइनर्स निखिल मेहरा और शांतनु मेहरा ने कहा, “चूंकि शांतनु और निखिल भारतीय फ़ैशन इंडस्ट्री में सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित ब्रांड्स में से एक है, इसलिए हमारा मानना है कि मॉस्को फ़ैशन वीक में भाग लेना रूस के बाज़ार में खुद को पेश करने का आदर्श और शानदार तरीका है।”
ये आयोजन घरेलू रूसी प्रतिभाओं के लिए एक शानदार प्रदर्शन का भी माध्यम बना। डिज़ाइनर यानिस चामलिडी ने कड़े वास्तुशिल्पीय कट्स और साधारण, लेकिन खूबसूरत अंदाज़ में एक कलेक्शन पेश किया, जिससे ऐसे लुक्स तैयार हुए जो मूवमेंट में मूर्तियों जैसा लगते थे। किसीलेंको ने पूर्वी संस्कृति और कड़े आकारों-रेखाओं वाले अंदाज़ अपने कलेक्शन से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया, जहां हरेक डिटेल में निखरी हुई स्टाइल और कारीगरी झलकती थी। स्टा लोपटकीन ने पूर्वी और पश्चिमी शैली को मिलाकर क्लासिक टेलरिंग पर एक नए और अभिनव अंदाज़ में एक ऐसा कलेक्शन पेश किया, जो खुद में एक कला का संदेश था। उभरते ब्रांड वीरा प्लॉटनिकोवा के दीवा कलेक्शन ने नई तकनीक वाले महिला आकार वाले सिल्हूट्स के साथ परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम प्रस्तुत किया।
अंतर्राष्ट्रीय रनवे स्टार्स की मौजूदगी ने मॉस्को फ़ैशन वीक की वैश्विक पहुंच – जो अफ़्रीका, यूरोप, एशिया और अमेरिका तक फ़ैली हुई है – की अहमियत बढ़ा दी, जिनमें अफ़्रीका के प्रमुख कॉट्यूरियर्स में से एक डेविड टेली और तुर्की डिज़ाइनर एमरी इर्देमोग्लुल जो विश्व प्रसिद्ध हस्तियों की डिज़ाइनिंग करने के लिए जाने जाते हैं, शामिल थे। सांस्कृतिक आदान-प्रदान का यह सिलसिला बार-बार नज़र आया, जिसमें कई डिज़ाइनर्स ने रूसी संस्कृति से प्रेरणा ली। आर्टिमिस से ब्राज़ील की डिज़ाइनर मेरी जुबैनी ने अपना प्रभाव समझाया: “मैं मूर्तिकला सिनेमा से, खासकर Andrei Tarkovsky की कृतियों से, बहुत प्रभावित थी, जहां हर फ़्रेम समय, यादें और भावनाओं की गहराई को जगाता है। इन प्रेरणाओं ने ऐसे परिधानों के निर्माण को जन्म दिया जो वास्तविक और अलौकिक के बीच की रेखा को धुंधला कर देते हैं, और आधुनिक तकनीकों को निखरी हुई हस्तकला तकनीकों के साथ जोड़ते हैं।”
इसके साथ ही आयोजित ब्रिक्स+ फ़ैशन शिखर सम्मेलन इंडस्ट्री के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक आयोजनों में से एक बन गया। ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य होने के नाते, भारत ने मॉस्को में एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल भेजा।
पवन सचदेवा जो फ़ैशन डिज़ाइन काउंसिल ऑफ़ इंडिया के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के मेंबर भी हैं, ने दोनों कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने कहा कि “ये कार्यक्रम फ़ैशन इंडस्ट्री में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करते हैं। पारंपरिक टेक्सटाइल, स्थानीय पैटर्न और स्वदेशी तकनीकों को वैश्विक मंच पर पेश किया जाता है, जिससे लोगों के प्रति अनजानी फ़ैशन परंपराओं की सराहना बढ़ती है।”
मॉस्को फ़ैशन वीक और ब्रिक्स+ फ़ैशन शिखर सम्मेलन ने मॉस्को को एक फ़लते-फ़ूलते फ़ैशन हब और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के एक मंच के तौर पर मज़बूती से स्थापित किया है। इन आयोजनों ने भारत जैसे पार्टनर्स को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर डिज़ाइनर्स को पेश करने और वैश्विक बाज़ारों के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने का एक कीमती अवसर प्रदान किया है। मॉस्को ने स्पष्ट रूप से दर्शाया है कि फ़ैशन एक यूनिवर्सल भाषा है, जो हर महाद्वीप की ऑडियंस तक अपनी बात पहुंचाती है।