*नई दिल्ली, दिव्यराष्ट्र*\ अमद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ), चेन्नई, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (सीबीआर) और यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (यूकेडीआरआई) ने एक ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग में डायबिटीज और मस्तिष्क स्वास्थ्य के बीच जटिल संबंधों की खोज के लिए अत्याधुनिक शोध को आगे बढ़ाने हेतु साझेदारी की है। एमडीआरएफ, सीबीआर और यूकेडीआरआई के बीच अलग-अलग समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह सहयोग डायबिटीज, तंत्रिका विज्ञान और डिमेंशिया के क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञों को एक साथ लाता है ताकि यह समझा जा सके कि डायबिटीज जैसे मेटाबॉलिक विकार संज्ञानात्मक गिरावट और तंत्रिकीय रोगों, जिसमें डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग शामिल हैं, को कैसे प्रभावित करते हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य बड़े पैमाने पर अध्ययन, डेटा आदान-प्रदान और अनुवादात्मक शोध को सुगम बनाना है ताकि प्रारंभिक पहचान और रोकथाम रणनीतियों में सुधार किया जा सके।
डॉ. वी. मोहन, चेयरमैन, मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ), ने कहा, “यह सहयोग हमारे उस सफर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिसमें हम समझना चाहते हैं कि डायबिटीज न केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क को भी कैसे प्रभावित करता है। डायबिटीज और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य में दशकों के हमारे कार्य और प्रख्यात तंत्रिका वैज्ञानिकों तथा डिमेंशिया शोधकर्ताओं के साथ हाथ मिलाने से, हम ऐसी प्रक्रियाओं को उजागर करने की आशा करते हैं जो आखिरकार दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेंगी।”
डॉ. आर. एम. अंजना, प्रेसिडेंट, एमडीआरएफ, ने कहा: “डायबिटीज को संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया के लिए जोखिम कारक के रूप में तेजी से मान्यता मिल रही है। इस साझेदारी के माध्यम से, हम बहु-विषयक विशेषज्ञता और विविध डेटासेट की शक्ति का लाभ उठाएंगे ताकि डायबिटीज वाले लोगों में मस्तिष्क की उम्र बढ़ने के प्रारंभिक मार्कर्स को उजागर किया जा सके। यह रोकथाम और चिकित्सीय सफलताओं का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।”
प्रो. सिद्धार्थन चंद्रन, डायरेक्टर एवं मुख्य कार्यकारी, यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट, ने कहा, “मेटाबॉलिक विकार मस्तिष्क के कार्य को कैसे प्रभावित करते हैं, यह हमारे समय की महान वैज्ञानिक चुनौतियों में से एक है। एमडीआरएफ जैसे सहयोग वैश्विक विशेषज्ञता और संसाधनों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण हैं ताकि उन खोजों को तेज किया जा सके जो रोगियों के लिए वास्तविक लाभ में अनुवादित हो सकें।”
प्रो. के. वी. एस. हरि, डायरेक्टर, सेंटर फॉर ब्रेन रिसर्च (सीबीआर), आईआईएससी बेंगलुरु ने कहा, “सीबीआर का मस्तिष्क की उम्र बढ़ने और न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों पर ध्यान इस पहल के साथ पूरी तरह से मेल खाता है। एमडीआरएफ और यूकेडीआरआई के साथ काम करने से बड़े पैमाने पर क्लिनिकल, इमेजिंग, जीनोमिक्स और प्रोटिओमिक्स डेटा को एक साथ लाने में मदद मिलेगी ताकि डायबिटीज और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों की पहचान की जा सके। हम इस महत्वपूर्ण पहल के लिए प्रतिक्षा ट्रस्ट के अमूल्य समर्थन के लिए आभारी हैं।”
प्रो. हेनरिक ज़ेटरबर्ग, मनोचिकित्सा और न्यूरोकेमिस्ट्री विभाग के प्रमुख, गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय, यूसीएल क्वीन स्क्वायर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी में यूकेडीआरआई के ग्रुप लीडर और सीबीआर में विजिटिंग फैकल्टी, ने कहा, “यह सहयोग डिमेंशिया शोध के लिए एक बेहतरीन उपलब्धि है। मेटाबॉलिक कारकों और ब्रेन बायोमार्कर्स का एक साथ अध्ययन करके, हम रोग तंत्र में गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और नई हस्तक्षेप रणनीतियों की पहचान कर सकते हैं।”