दिव्यराष्ट्र, जयपुर: अगली पीढ़ी के लीडलेस पेसमेकर धड़कनों की असामान्यता के इलाज में क्रांति ला रहे हैं लीडलैस पेसमेकर, हृदय की अनियमित गति या अतालता को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नवीनतम पीढ़ी के लीडलेस पेसमेकर इस स्थिति को प्रभावी ढंग से और कुशलता से नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ये पेसमेकर छोटे आकार के होते हैं,इनका प्रत्यारोपण न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया से किया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर इन्हें निकाला भी जा सकता है।
पेसमेकर एक चिकित्सा उपकरण है जो दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है। पारंपरिक पेसमेकर को आमतौर पर कॉलरबोन (कंधे की हड्डी) के पास त्वचा के नीचे लगाया जाता है और इसे पतली तारों (लीड्स) के माध्यम से हृदय से जोड़ा जाता है। ये तार विद्युत संकेत भेजते हैं, जिससे हृदय सामान्य गति से धड़कसके, जिससे सीने में दर्द, थकान, तेज़ होना (पल्पिटेशन) और बेचैनी जैसे लक्षणों से राहत मिलती है।
भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, हांगकांग, ताइवान और कोरिया में कार्डिएक रिदम मैनेजमेंट के महाप्रबंधक अजय सिंह चौहान, एबॉट ने कहा, “लीडलैस पेसमेकर इस तरह विकसित किए गए हैं कि डॉक्टरों के लिए इनका प्रत्यारोपण और आवश्यकता पड़ने पर निकाला जाना बेहद सहज हो, साथ ही ये पारंपरिक तकनीकों की तुलना में कई मायनों में बेहतर हैं। यह तकनीक रोगियों के लिए वास्तव में जीवन बदलने वाली है, क्योंकि यह हृदय की धड़कन अनियमित होने से जुड़ीबीमारियों के इलाज के नए रास्ते खोलती है।”
इटर्नल हार्ट केयर सेंटर, जयपुर में कार्डियोलॉजी के चेयरमैन और एचओडी डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कर ने कहा कि,“हर साल, हजारों मरीजों को पेसमेकर प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। इस सर्जरी में कुछ संभावित जटिलताएं या निशान दिखाई देने लगते हैं। लीडलेस पेसमेकर हृदय देखभाल में एक सार्थक बदलाव लाते हैं। वे न्यूनतम इनवेसिवप्रक्रिया से लगाए जाते हैं, बाहर से दिखाई नहीं देते और ऑपरेशन के बाद जटिलताओं की संभावना को काफी हद तक कम कर देते हैं।”
“यह तकनीक हृदय की धड़कन को अधिक प्राकृतिक बनाए रखने में सहायक है और उपचार के नतीजों को बेहतर बनाती है।इससे संक्रमण और लीड संबंधी समस्याओं का खतरा घटता है और दोबारा हस्तक्षेप की आवश्यकता भी कम हो जाती है। सटीक प्रत्यारोपण और लचीले इलाज के लिए तैयार किए गए कुछ लीडलैस पेसमेकर प्रत्येक रोगी के लिए अनुकूलित समाधान प्रदान करते हैं।”
जहाँ पारंपरिक पेसमेकर लगाने के लिए छाती में चीरा लगाया जाता है, वहीं लीडलैस पेसमेकर को एक कैथेटर (पतली नली) के ज़रिए सीधे हृदय में पहुँचाया जाता है। नई पीढ़ी के ये पेसमेकर प्रत्यारोपण से पहले इलेक्ट्रिकल मैपिंग की सुविधा देते हैं, जिससे सर्जन को मरीज की हृदय संरचना की स्पष्ट तस्वीर मिलती है, जिससे वे डिवाइस को सटीक रूप से इम्प्लांट कर सकते हैं। कैथेटर डालने के दौरान, पेसमेकर एक सुरक्षात्मक आवरण में ढका रहता है, जिससे यह रक्त वाहिकाओं से आसानी से गुजर सके और चोट का खतरा कम हो जाए।