– प्रतिभागियों ने बनाए मिलेट्स के स्वादिष्ट कुकीज व केक
जयपुर, 23 दिसंबर:/ क्रिसमस सीजन के तहत जयपुर क्लब में “द माईटी मिलेट्स, क्रिसमस बेकिंग वर्कशॉप” का आयोजन किया गया। इसमें डायटीशियन रचना गहलोत ने महिला प्रतिभागियों को दैनिक भोजन में मिलेट्स को शामिल करने के विभिन्न स्वास्थ्य लाभ बताए। वर्कशॉप के दौरान प्रतिभागियों ने मिलेट्स की कुकीज व केक भी तैयार किए। इसके माध्यम से संदेश दिया गया कि “मोटा अनाज उबाऊ नहीं है, बस उसे नए अंदाज में अपनाने की जरूरत है।”
इस अवसर पर रचना गहलोत ने बताया कि लोगों को मिलेट्स के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इसका आयोजन किया गया है। मिलेट्स को नए तरीकों से इस्तेमाल करके सेहत और स्वाद का संयोजन किया जा सकता है। मिलेट्स के अनगिनत फायदों की वजह से इसे श्री अन्न भी कहा जाता है। इस फेस्टिवल सीजन में केक और कुकीज आमतौर पर मैदा व रिफाइंड शुगर से बनाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इस वर्कशॉप में महिलाओं ने रचना गहलोत के मार्गदर्शन में रागी, ज्वार, बाजरा के बिस्किट केक व अन्य कुकीज बनाए। इनमें मिठास के लिए चीनी के विकल्प के तौर पर गुड़, खजूर और नारियल का प्रयोग किया गया।
रचना गहलोत ने बताया कि कैसे ये पारंपरिक अनाज अब फिर से हमारी थाली में अपनी अहम जगह बनाने में सक्षम हुए हैं। मिलेट्स न सिर्फ हृदय के लिए लाभकारी हैं, बल्कि ये इम्युनिटी बढ़ाते हैं और डायबिटीज, मोटापा, माइग्रेन जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में भी काफी कारगर साबित होते हैं। मिलेट्स में उच्च मात्रा में फाइबर, कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, अच्छी गुणवत्ता का प्रोटीन, खनिज, बी-विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। यही कारण है कि इन्हें ‘फूड एज मेडिसिन’ भी कहा जाता है।
अपनी कुछ खास विशेषताओं की वजह से मिलेट्स पर्यावरण के अनुकूल भी हैं, क्योंकि ये कम पानी में उगते हैं और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सस्टेनेबल विकल्प हैं। भारत में सर्दियों में गेहूं और सूखे मेवे से बने लड्डू व अन्य पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते थे। लेकिन यदि रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मिलेट्स के आटे से लड्डू बनाए जाएं तो ये अधिक स्वास्थ्यवर्धक हो सकते हैं।