17 दिसंबर 2025; संबलपुर: भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) संबलपुर, जो भारत के प्रमुख प्रबंधन संस्थानों में से एक है, ने प्रोडक्शन एंड ऑपरेशंस मैनेजमेंट सोसाइटी (पीओएमएस) इंडिया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2025 की मेजबानी की। पीओएमएस इंडिया चैप्टर के सहयोग से आयोजित इस चार दिवसीय सम्मेलन में विश्वभर के अग्रणी वैश्विक विद्वान, उद्योग जगत के नेता और शिक्षाविद एक मंच पर एकत्र हुए। यह सम्मेलन भारत और वैश्विक स्तर पर संचालन एवं आपूर्ति शृंखला प्रबंधन के भविष्य को आकार देने की दिशा में आईआईएम संबलपुर की प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित प्रोडक्शन एंड ऑपरेशंस मैनेजमेंट सोसाइटी (पीओएमएस) एक अंतरराष्ट्रीय पेशेवर संगठन है, जो विश्वभर में संचालन एवं आपूर्ति शृंखला प्रबंधन से जुड़े पेशेवरों का प्रतिनिधित्व करता है। सम्मेलन में इस बात को रेखांकित किया गया कि भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु परिवर्तन, महामारियाँ और तीव्र तकनीकी व्यवधान किस प्रकार वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को मूल रूप से पुनः आकार दे रहे हैं, जिससे मजबूती, डिजिटल एकीकरण और सततता सभी क्षेत्रों के व्यवसायों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण प्राथमिकताएँ बन गई हैं।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की शोभा प्रोफेसर महादेव जायसवाल, निदेशक, आईआईएम संबलपुर; श्री शशि शेखर मोहंती, प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एस्सार मिनमेट लिमिटेड (मुख्य अतिथि); डॉक्टर अनिल सहस्रबुद्धे, अध्यक्ष, नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम तथा अध्यक्ष, नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन; प्रोफेसर सुभोध कुमार, अध्यक्ष, पीओएमएस एवं फॉक्स स्कूल ऑफ बिजनेस; प्रोफेसर सजीव ए जॉर्ज, अध्यक्ष, पीओएमएस इंडिया चैप्टर; प्रोफेसर चंदन चौधरी, कार्यकारी निदेशक,
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर नागेश मूर्ति, एसोसिएट कार्यकारी निदेशक, पीओएमएस; प्रोफेसर कौस्तव चक्रवर्ती, सम्मेलन अध्यक्ष; तथा प्रोफेसर संदीप मुखोपाध्याय, सम्मेलन सह-अध्यक्ष, आईआईएम संबलपुर ने बढ़ाई।
सम्मेलन में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन (संयुक्त राज्य अमेरिका), शेलर कॉलेज ऑफ बिजनेस, पैम्पलिन कॉलेज ऑफ बिजनेस तथा फॉक्स स्कूल ऑफ बिजनेस (संयुक्त राज्य अमेरिका) सहित विश्वप्रसिद्ध संस्थानों के वक्ताओं ने भाग लिया। इसके साथ ही आईआईटी बॉम्बे, आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम कोझिकोड और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के शिक्षाविदों ने भी अपने विचार साझा किए।
देश-विदेश के शीर्ष सरकारी एवं निजी संस्थानों से आए 500 से अधिक प्रतिभागियों—जिनमें छात्र, शोधार्थी, शिक्षाविद और उद्योग जगत के नेता शामिल थे—ने सम्मेलन में सहभागिता की। इनमें एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी, रॉयल हॉलोवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन (यूनाइटेड किंगडम), यूनिवर्सिटी ऑफ सस्केचेवान (कनाडा), यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल (यूनाइटेड किंगडम), आईआईटी मद्रास, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर, एक्सएलआरआई, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी धनबाद, आईआईएम बैंगलोर, आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम कलकत्ता, आईआईएम लखनऊ, आईआईएम कोझिकोड, आईआईएम संबलपुर, आईआईएम रांची, आईआईएम विशाखापत्तनम, आईआईएम उदयपुर तथा एनआईटी पटना शामिल रहे। सम्मेलन में अनुकूलनीय, पारदर्शी और सकारात्मक प्रभाव वाली आपूर्ति शृंखलाओं के निर्माण में सहयोगात्मक सोच के महत्व पर विशेष बल दिया गया। इसमें मुख्य भाषण, पैनल चर्चाएँ और शोध संवाद आयोजित किए गए, जिनका फोकस भारत-केंद्रित संचालन प्रबंधन अनुसंधान, वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूती से पुनरुत्थान की ओर ले जाना तथा उच्च-गुणवत्ता वाले संचालन प्रबंधन शोध को प्रोत्साहित करना रहा।
प्रौद्योगिकी और प्रबंधन शिक्षा की भूमिका पर बोलते हुए प्रोफेसर महादेव जायसवाल, निदेशक, आईआईएम संबलपुर ने कहा, “वैश्विक व्यवधान अपरिहार्य हैं, जो न केवल व्यवसायों बल्कि भविष्य के नेताओं को तैयार करने वाले संस्थानों को भी प्रभावित करते हैं। डिजिटलीकरण, डीकार्बनाइजेशन और लोकतंत्रीकरण संचालन प्रणालियों को नया स्वरूप दे रहे हैं। भविष्य के प्रबंधकों को नई तकनीकों को सीखना, सततता को अपनाना और समावेशी व्यावसायिक रणनीतियों का अभ्यास करना होगा। भारत ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है, जहाँ विश्व के 53 प्रतिशत ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स स्थित हैं, जिससे भारत वैश्विक डिजिटल सेवा आपूर्ति शृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।”
मुख्य अतिथि श्री शशि शेखर मोहंती ने कहा, “आज की आपूर्ति शृंखलाएँ अत्यंत परस्पर जुड़ी हुई हैं और सामग्री या लॉजिस्टिक्स में छोटी-सी बाधा भी संचालन को ठप कर सकती है। भविष्य के प्रबंधकों को इस जटिल और तेजी से बदलती दुनिया से निपटने के लिए संचालन, ऊर्जा, आपूर्ति शृंखला और डिजिटल प्रणालियों की गहन समझ विकसित करनी होगी।”
डॉक्टर अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा, “भारत की अवसंरचना और डिजिटल पहलों ने आपूर्ति शृंखलाओं को मजबूत किया है, कोविड के दौरान शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित की है और देश को डिजिटल लेन-देन तथा संचालन नवाचार में अग्रणी के रूप में स्थापित किया है।”
प्रोफेसर सजीव ए जॉर्ज ने कहा, “भू-राजनीति, जलवायु परिवर्तन और तीव्र गति से विकसित होती तकनीकें वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं की पुनर्कल्पना की मांग करती हैं। अब फोकस केवल लागत और दक्षता तक सीमित न रहकर सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों को समाहित करने वाले सकारात्मक, मजबूत और सतत भविष्य की ओर होना चाहिए।”
आईआईएम संबलपुर वैश्विक विशेषज्ञों, उद्योग पेशेवरों और शिक्षाविदों को एक मंच पर लाकर संचालन एवं आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में शोध-आधारित उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में निरंतर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भावी नेताओं को तैयार कर यह संस्थान मजबूत, सतत और भविष्य-तैयार आपूर्ति शृंखलाओं के निर्माण में योगदान दे रहा है, जिससे वैश्विक आपूर्ति नेटवर्क में भारत की भूमिका और सुदृढ़ हो रही है।
सम्मेलन के तीसरे दिन (15 दिसंबर) ‘द बी-स्कूल कंड्रम’ विषय पर एक फायरसाइड चैट आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रोफेसर महादेव जायसवाल, निदेशक, आईआईएम संबलपुर; प्रोफेसर चंदन चौधरी, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद; तथा प्रोफेसर विशाल तलवार, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन, दिल्ली कैंपस भाग लेंगे। इस चर्चा में सतत प्रभाव के लिए प्लेसमेंट, शोध और उद्यमिता के बीच संतुलन स्थापित करने पर विचार-विमर्श किया जाएगा।