Home एंटरटेनमेंट गौरी शेलगावकर निभाएंगी ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी

गौरी शेलगावकर निभाएंगी ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी

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‘बींदणी’ में मुख्य किरदार, कहा – “ऐसे मौके का इंतज़ार था मुझे”

जयपुर, दिव्यराष्ट्र/अपने आकर्षक मोशन पोस्टर और टीजर से दर्शकों में उत्सुकता जगाने के बाद, सन नियो ने अपने बहुप्रतीक्षित शो ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बींदणी’ का नया प्रोमो रिलीज कर दिया है, जिसमें शो की मुख्य अभिनेत्री का खुलासा किया गया है। टीवी की जानी-मानी अभिनेत्री गौरी शेलगावकर इस शो में ‘घेवर’ का किरदार निभाती नजर आएंगी।

प्रोमो की शुरुआत सांझ ढलते रेगिस्तान से होती है। घेवर रेत पर दौड़ती हुई अचानक रुकती है और घुटनों के बल ज़मीन पर गिर पड़ती है, क्योंकि उसकी नजर रेत में दबे एक फोटो फ्रेम पर पड़ती है। वह धीरे-धीरे उसे अपनी हथेली से साफ करती है, उसकी आँखों में गहरी भावनाएँ झलक रही होती हैं। लेकिन तभी कहानी में एक नया मोड़ आता है और उसे पालने में किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई देती है। घेवर उस बच्चे को गोद में उठा लेती है। आखिर रेगिस्तान के बीचों-बीच घेवर की गोद में यह बच्चा कौन है? इस बच्चे और घेवर के बीच क्या रिश्ता है? यह दृश्य बेहद भावुक कर देने वाला है — एक ऐसी कहानी की शुरुआत, जो सवालों से भरी हुई है।

अपनी खुशी जाहिर करते हुए, गौरी शेलगावकर ने कहा, “मैं घेवर का किरदार निभाकर बेहद खुश और उत्साहित हूं। जब मैंने पहली बार अपने किरदार का नाम सुना, तो मुझे बहुत दिलचस्प लगा क्योंकि घेवर एक मशहूर मिठाई का नाम है और मुझे लगा ये नाम उसके स्वभाव से भी मेल खाता है। हमारी कहानी राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित है और जैसे ही मैंने इसकी कहानी सुनी, मैं सोचने लगी कि अब मुझे खूबसूरत राजस्थानी कपड़े और गहने पहनने को मिलेंगे।”

उन्होंने आगे कहा,”रघुवीर शेखावत सर जैसे लेखक और निर्माता के साथ काम करना मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने जब इस किरदार को समझाया, तो मुझे लगा कि इस रोल के जरिए मैं बहुत कुछ सीख सकती हूं और एक कलाकार के रूप में आगे बढ़ सकती हूं। मैं लंबे समय से ऐसे ही मौके की तलाश में थी और इस अवसर के लिए मैं मेकर्स और सन नियो की आभारी हूं। उम्मीद है कि दर्शकों को मेरा किरदार और शो दोनों भी पसंद आएगा।”

राजस्थानी संस्कृति की झलक, एक भावनात्मक कहानी और प्रेरणादायक किरदार के साथ ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बींदणी’ एक ऐसी यात्रा है जो साहस, परंपरा और आत्मनिर्भरता को बयां करती है।

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