दिव्यराष्ट्र, मुंबई: करारी पकौड़ी से लेकर चटपटे समोसे तक—स्ट्रीट फूड पूरे भारत में सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि एक भाव है। लेकिन हर परिपूर्ण तरीके से तला हुआ स्नैक उस तेल पर निर्भर करता है जिसमें वह तैयार किया जाता है—और इस पहलू को हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इसी विषय पर एक पॉडकास्ट सीरीज़ में कुलिनरी एक्सप्लोरर औरदिल्लीफूडवॉक्सके संस्थापक अनुभव सप्रा को दिखाया गया है, जहाँ उन्होंने स्ट्रीट फूड में उपयोग होने वाले तेलों की भूमिका को सरल तरीके से समझाया और भ्रामक फूड लेबल्स के पीछे छिपे सच को उजागर किया।
पहले एपिसोड“साइलेंटहीरो: दसाइंसऑफ़व्हाटवीईट”में अनुभव बताते हैं कि स्ट्रीट वेंडर्स पाम तेल का व्यापक उपयोग क्यों करते हैं। उच्च तापमान पर इसकी स्थिरता, न्यूट्रल स्वाद और लगातार एकसमान तलने की क्षमता भारतीय स्नैक्स को उनका विशिष्ट कुरकुरापन देती है। दूसरे एपिसोड“नोपामऑयल? डोंटबीफूल्ड”में वे “नो पाम ऑयल” लेबल्स की बढ़ती प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हैं और बताते हैं कि ये टैग अक्सर उपभोक्ताओं में भ्रामक स्वास्थ्य धारणाएँ पैदा करते हैं। वे सलाह देते हैं कि उपभोक्ता पैकेट के सामने दावों पर निर्भर रहने के बजाय पूरी सामग्री सूची और पोषण तथ्यों को अवश्य पढ़ें।
इंफ्लुएंसर की जानकारी :दोनों एपिसोड में अनुभव ने महत्वपूर्ण बिंदु साझा किए: स्ट्रीट वेंडर ऐसे तेलों को प्राथमिकता देते हैं जो उच्च तापमान पर स्थिर रहें, जिनका स्मोक पॉइंट उच्च हो और जो आसानी से टूटे नहीं। पाम तेल का न्यूट्रल स्वाद भोजन के असली फ्लेवर को बनाए रखता है। कई उपभोक्ता यह नहीं जानते कि पाम तेल स्वाभाविक रूप सेट्रांस-फैट फ्रीऔरकोलेस्ट्रॉल-फ्रीहोता है। सुरक्षित कुकिंग आदतें बेहद ज़रूरी हैं—ताज़े तेल का उपयोग करें, अत्यधिक गरम करने से बचें और घर पर समय-समय पर विभिन्न तेलों का उपयोग बदलकर करें।
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आईसीएमआरके आहार दिशानिर्देशों के अनुरूप : आईसीएमआर–एनआईएन 2024 के दिशा-निर्देशों को दोहराते हुए यह अनुशंसा की जाती है कि तेल/वसा का उपयोग उचित मात्रा में किया जाए और आवश्यक फैटी एसिड तथा दैनिक वसा आवश्यकता पूरी करने के लिए विभिन्न प्रकार के तिलहन, नट्स, न्यूट्रिसीरियल्स और फलियों को आहार में शामिल किया जाए।
एनएमईओ–ओपी: भारत के खाद्य तेल लक्ष्य : अनुभव ने भारत के खाद्य तेल इकोसिस्टम को मजबूत करने के व्यापक प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। भारत कानेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स – ऑयल पाम 2025–26 तक 6.5 लाख हेक्टेयर और 2029–30 तक कुल 16.71 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ऑयल पाम विस्तार का लक्ष्य रखता है। इस मिशन का विशेष फोकस उत्तर-पूर्वी राज्यों पर है, जिससे देश की तेल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।
“नो पाम ऑयल” लेबल्स को समझना : आईएफबीए और ओटीएआई जैसे उद्योग संगठनों ने चेताया है कि “नो पाम ऑयल” जैसे लेबल प्रायः मार्केटिंग रणनीतियाँ होती हैं, न कि पोषण संबंधी श्रेष्ठता का संकेत। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे पैक के सामने दिए गए दावों के बजाय संपूर्ण पोषण सामग्री—विशेष रूप से चीनी, नमक और कुल फैट—का मूल्यांकन करें।