
प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज होना एक आम पाचन समस्या है, जो अधिकांश महिलाओं में देखी जाती है। इस दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे आंतों की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं और मल त्याग की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। जैसे-जैसे गर्भाशय का आकार बढ़ता है, वह आंतों पर दबाव डालता है, जिससे उनकी गति और कम हो जाती है। इसके अलावा शारीरिक गतिविधि में कमी, आयरन सप्लीमेंट का सेवन, कम पानी पीना और खानपान में बदलाव भी पाचन को सुस्त बना देते हैं। आमतौर पर कब्ज नुकसानदायक नहीं होती, लेकिन समय पर ध्यान न देने पर यह बेचैनी, पेट दर्द और कुछ मामलों में बवासीर की समस्या भी पैदा कर सकती है।
डाइट का पाचन स्वास्थ्य पर असर*
प्रेगनेंसी के दौरान खाने की आदतों में बदलाव आना आम बात है और इस समय कई महिलाओं को अलग-अलग चीज़ों की क्रेविंग होने लगती है। मतली और मूड में उतार-चढ़ाव के कारण अक्सर फल और सब्जियों की मात्रा कम हो जाती है, जबकि कार्बोहाइड्रेट से भरपूर, प्रोसेस्ड या तली-भुनी चीज़ों का सेवन बढ़ जाता है। इससे डाइट में फाइबर की कमी हो जाती है, जो मल को नरम रखने और आंतों की गतिविधि को बेहतर बनाने के लिए बेहद जरूरी होता है। पर्याप्त पानी न पीने से कब्ज की समस्या और बढ़ जाती है। विशेषज्ञ प्रेगनेंट महिलाओं को साबुत अनाज, फाइबर से भरपूर फल, हरी पत्तेदार सब्जियां और दिन भर गुनगुने तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं। साथ ही दही या छाछ जैसे प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स को डाइट में शामिल करने से आंतों का संतुलन बेहतर रहता है और पाचन प्रक्रिया सुचारु होती है।
तनाव और लाइफस्टाइल का पाचन पर असर*
प्रेगनेंसी खुशियों के साथ-साथ शरीर में बदलाव, भावनात्मक संतुलन में बदलाव, काम का दबाव और नींद में व्यवधान भी लाती है। तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल पाचन क्रिया को धीमा कर सकते हैं और आंत-मस्तिष्क के प्राकृतिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकते हैं। अनियमित नींद, कम शारीरिक गतिविधि, लंबे समय तक बैठना और दिनचर्या का अभाव जैसी आदतें कब्ज बढ़ाने में योगदान करती हैं। इसलिए नियमित हल्की शारीरिक गतिविधि जैसे वॉक, प्रीनेटल योग और स्ट्रेचिंग शामिल करना फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे आंतों की गति बेहतर होती है और तनाव से जुड़े पाचन संबंधी समस्याओं में भी राहत मिलती है।
आसान और प्रभावी रोकथाम के उपाय*
कब्ज़ को आसान जीवनशैली बदलावों से आसानी से रोका जा सकता है। इसके लिए रोजाना कम से कम 8–10 गिलास पानी पीना, सुबह गुनगुने तरल पदार्थ लेना और फाइबर से भरपूर आहार जैसे दलिया, छिलके वाले फल, सब्जियां, नट्स और बीज शामिल करना बहुत जरूरी है। नियमित भोजन समय का पालन करना और मल त्याग की प्राकृतिक इच्छा पर तुरंत प्रतिक्रिया देना भी आंतों की गति को नियमित करने में मदद करता है। जिन महिलाओं को आयरन सप्लीमेंट लेने की जरूरत है, वे डॉक्टर की सलाह के बाद हल्के फॉर्मूलेशन का सेवन कर सकती हैं, जिससे कब्ज की समस्या कम हो सकती है। खाने के बाद हल्की सैर करना, गहरी साँस लेने के व्यायाम करना और शांत दिनचर्या अपनाना भी पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
डॉक्टर से सलाह कब लें*
कभी-कभी कब्ज होना सामान्य है, लेकिन अगर लक्षण गंभीर या लगातार बने रहें तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि लंबे समय तक बेचैनी, मलाशय से खून आना, अत्यधिक पेट फूलना या दर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। कब्ज कभी-कभी थायरॉइड असंतुलन या सप्लीमेंट्स/दवाइयों में बदलाव की जरूरत जैसे अन्य कारण भी बता सकता है। गर्भावस्था के लिए सुरक्षित इलाज उपलब्ध है, और समय पर डॉक्टर से संपर्क करने से जटिलताओं को रोका जा सकता है।
प्रेगनेंसी में कब्ज आम है, लेकिन इसे बेहद परेशान करने वाला नहीं बनने देना चाहिए। अधिकतर महिलाएं सही सावधानियों और देखभाल से पूरे प्रेगनेंसी के दौरान में पाचन स्वास्थ्य बनाए रख सकती हैं। समय पर मेडिकल सहायता लेने से पाचन बेहतर रहता है और गर्भावस्था का अनुभव भी अधिक आरामदायक और सुखद बनता है।