
राजस्थान में अंता विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने भाजपा को गहरे मंथन की स्थिति में ला दिया है। सत्ता में होने के बावजूद भाजपा कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया को नहीं रोक पाई और कांग्रेस ने 15,594 वोटों से भारी जीत दर्ज की। हैरानी यह कि भाजपा सिर्फ 53,868 वोट जुटा सकी, जबकि निर्दलीय नरेश मीणा महज 128 वोट पीछे रहे—यानी भाजपा और निर्दलीय लगभग बराबर।
वसुंधरा के गढ़ में भाजपा को बड़ी चोट*
अंता को अक्सर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का मजबूत क्षेत्र माना जाता है, पर इस बार यह पकड़ ढीली साबित हुई। राजे, दुष्यंत सिंह और खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दो रोड शो भी मतदाताओं को प्रभावित करने में नाकाम रहे।
सवाल उठना लाजमी*
—संगठन कमजोर था या सरकार के कामकाज पर जनता असंतुष्ट?
निर्दलीय ने माहौल गरमाया, पर जीत नहीं मिली*
निर्दलीय नरेश मीणा ने पूरे चुनाव में प्रमोद जैन को निशाने पर रखा, जातीय सहानुभूति तक लेने की कोशिश की, लेकिन जीत नहीं सके।
उनके समर्थन में आए आरएलपी के हनुमान बेनीवाल, राजेंद्र गुढ़ा, आप नेता संजय सिंह भी बड़ा असर नहीं डाल पाए।
कांग्रेस गुटों में अब श्रेय की होड़*
कांग्रेस की यह जीत संगठन के उत्साह को बढ़ाएगी। वहीं राज्य के वरिष्ठ नेता—डोटासरा, गहलोत, पायलट, शांति धारीवाल, गुंजल—सब अपने-अपने हिस्से का श्रेय लेने में पीछे नहीं रहेंगे।
भाजपा को मिला बड़ा संकेत*
भाजपा के 40+ स्टार प्रचारक भी हार रोक नहीं सके। यह हार बताती है कि—
संगठन में समन्वय की कमी*
सरकार के काम से जनता की संतुष्टि में गिरावट।जमीनी स्तर पर योजनाओं का कमज़ोर क्रियान्वयन
अगर भाजपा ने इससे सबक नहीं लिया तो आने वाले चुनावों में चुनौती और बढ़ सकती है।