अस्मिता और अस्तित्व की रक्षा के लिए शत्रुओं को पहचानना जरूरी: सांसद मीनाक्षी जैन
राष्ट्रवादियों का महाकुंभ तीन दिवसीय जयपुर डायलॉग 2025 शुरू
जयपुर, दिव्यराष्ट्र*। जानी-मानी इतिहासवेत्ता और राज्यसभा सांसद मीनाक्षी जैन ने कहा कि हमारे शत्रु बाहरी नहीं हैं, इस बात को समझने की जरूरत है। वे शुक्रवार को जयपुर में जयपुर डायलॉग की शत्रुबोध थीम पर 10वीं तीन दिवसीय समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। सांसद मीनाक्षी जैन ने कहा कि इतिहासवेत्ताओं ने ईमानदारी से इतिहास लिखा लेकिन उसमें कुछ छुपाया नहीं गया। न ही इतिहास को तोड़ा मरोड़ा गया। लेकिन आजादी के बाद हमारे इतिहासवेत्ताओं को मार्क्सवादियों ने कम्युनल बताया और मूल इतिहास के सिलेबस को ही गायब कर दिया गया। देश के असली इतिहास को विपरीत इतिहास में बदल दिया गया
और धीरे-धीरे दिल्ली विश्वविद्यालय जेएनयू और अलीगढ़ के सिलेबस से यह सब गायब हो गए। हमको यह समझना चाहिए कि भाई शत्रु कहां है हमारा इतिहास बिल्कुल विपरीत लिखा गया। हमें शत्रुओं का बोध होना चाहिए।
इससे पहले मीनाक्षी जैन ने दीप प्रज्वलित कर समिट का शुभारंभ किया।
तीन दिवसीय सुमिट के पहले दिन मुख्य हॉल सहित अलग-अलग जगहों पर विभिन्न विषयों पर 14 सत्र आयोजित किए गए। जयपुर डायलॉग के चेयरपर्सन संजय दीक्षित की पुस्तक आल रिलीजंस आर नोट सेम के हिंदी संस्करण सभी धर्म समान नहीं का विमोचन भी किया गया।
प्रथम सत्र में भारत मस्ट नेम, एक्सपोज एंड कॉन्फ्रेंस इट्स सिविलाइजेशन एनीमीज विषय पर वरिष्ठ पत्रकार भाऊ तोरसेकर, अनुपम मिश्रा, ओमकार चौधरी, अभिषेक तिवारी और बाबा रामदास ने शत्रुओं की समय रहते पहचान करने और विकास की और फैलाए जा रहे नैरेटिव पर करारा प्रहार किया। द्वितीय सत्र में दक्षिणी एशियाई देशों बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में जिओ पालिटिक्स तथा जेन जेड़ के विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे देश में भी विपक्ष की ओर से इस तरह के प्रयास किया जा रहे हैं हमें शत्रुओं से सावधान रहना होगा।
दोपहर बाद तीसरे सत्र में एनजीओ फंडेड थिंक टैंक्स की ओर से शिक्षा के माध्यम से की जा रही भारत विरोधी गतिविधियों पर सांसद मीनाक्षी जैन, श्रीमती एस्थर धनराज, प्रोफेसर भारत गुप्त, आभास मालदहियार, नीलेश ओक और चिंतक कुंदन सिंह ने संबोधित किया।
चौथे सत्र में ब्रेकिंग इंडिया फोर्सज, टुकड़े टुकड़े गैंग, देश के आंतरिक शत्रु तथा नक्सली और इस्लामिस्ट नेटवर्क विषय पर संजय दीक्षित, नाजिया खान अभिजीत मित्रा अभिजीत चावड़ा, पंकज सक्सेना और अविनाश धर्माधिकारी ने
खुलकर देश विरोधी ताकतों और शत्रुओं का खुलासा किया।
“इन ब्यूरोक्रेसी होल्डिंग बैक मोदी एंड इंडिया”
ओपन माइक चैनल सेशन में अविनाश धर्माधिकारी, उदय माहिरकर, सेवियो रॉड्रिक्स, राहुल सूर और संजय दीक्षित ने चर्चा की। चर्चा में भ्रष्टाचार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार हमारे समाज में इस कदर व्याप्त है कि परिवार के लोग भी उसके लिए दबाव बनाते हैं। भ्रष्टाचार हमारे समाज, व्यवस्था और लोकतंत्र का कैंसर है। इसके समाधान का रास्ता शिक्षा से शुरु होता है। लिहाजा शैक्षिक नीति निर्माण करने वाले अधिकारियों का चरित्र भी इतना मजबूत हो, कि वे नेशन फर्स्ट की भावना को जागृत कर पाएं। वक्ताओं ने बताया कि डीबीटी की शुरुआत मोदी सरकार ने बहुत अच्छी की, लेकिन सक्षम अधिकारियों की अनदेखी के कारण आदिवासी गांव में ये योजनाएं सही मायने में नहीं पहुंच पाई। इसी तरह आईपीएस, आईएएस आदि प्रशासनिक अधिकारियों पर फर्जी भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं। यह शिक्षा और जागरुक का परिणाम है। मोदी का स्लोगन खाऊंगा न खाने दूंगा के साथ न दूंगा ना देने दूंगा, भी होना चाहिए। व्यवस्था परिवर्तन में चरित्र निर्माण से ही भ्रष्टाचार को हटा पाएंगे।
भारत में सिविक सेंस नहीं है, न जनता में, ना जनप्रतिनिधि में। ओपन माइक सेशन में अभिजीत अय्यर मित्रा, सुशांत सरीन और गर्वित ने कहा कि छोटी छोटी चीजें हैं जो हमारे जीवन को परेशानी वाला बनती है, जैसे लाल बत्ती क्रॉस करना, सड़क पर कचरा फैलाना, सार्वजनिक स्थान पर थूकना इत्यादि ऐसी चीज़े हैं जिसे दूसरे लोग परेशान होते हैं। यह हमारी शिक्षा के दोष के कारण हुआ है। भारत में समाज की व्यवस्था का नैतिक पतन हुआ है। कथित उच्च शिक्षित लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देवी देवताओं के बारे में अनर्गल बाते करते है। जबकि यही लोग किसी भी दूसरे धर्म के बारे में बात तक नहीं कर पाते है। विद्यार्थी जीवन की बात करते हुए कहा कि कुछ लोग टॉयलेट, ऐतिहासिक स्थानों पर अभद्र बातें लिख देते हैं। यह कमजोर मानसिकता का परिचायक है।आप क्रोनोलॉजी समझिए सेशन में कहा कि
अतीत को जानने के लिए परंपरा की जानकारी जरुरी है।
सेशन में वे वेदवीर आर्य, निलेश ओक और संजय दिक्षित ने वैदिक काल की गणनाओं पर चर्चा की।
वक्ताओं ने कहा कि पिछले 200- 300 साल में हमारी परंपरा को बदला गया है। उन्हें असत्य बताया गया है। जानकारी के अभाव में जनमानस ने भी इसे ही सही मान लिया है। जबकि वेद और महाभारत में एस्ट्रोलॉजी की अच्छी जानकारी है। सत्य के करीब पहुंचने के लिए वैदिक गणना, महाभारत के वैदिक काल को समझना होगा। युग कैलेंडर को सही समझना होगा। विश्व की किसी भी सभ्यता में नक्षत्र गणना नहीं है। भारत इसमें समृद्ध है। संस्कृत के श्लोक से ग्रंथों की समय काल और गणना की तर्क सम्मत जानकारी मिलती है।
डू हिंदू इनफ्लुएंसर एक्चुअली अंडरस्टैंड सनातन (सेकुलर कथावाचक )*
बंटोगे तो काटोगे नारा भारत में अभी और एक हजार साल तक चल सकता है। ओपन माइक सेशन में कार्तिक गौर, विनोद कुमार और अनुज भारद्वाज ने चर्चा की। वक्ताओं ने सोशल मीडिया, फिल्म मेकर, यू ट्यूबर, इनफ्लुएंसर के माध्यम से जनमानस में पैठ बनाने वालों पर तंज कसते हुए कहा कि ये स्वयं को हिंदुइज्म बोलते हैं। जबकि वास्तव में हिंदुत्व है। यह क्रिस्टीनिज्म और इस्लामिज्म से अलग है। इनमें कथित पत्रकार और इतिहासकार भी शामिल है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ज्योतिष के जरिए हिंदुत्व को गिरा रहे हैं। सिर्फ लोकप्रिय होने के लिए ज्योतिष और इतिहास की गलत व्याख्या कर रहे हैं। जबकि आंतरिक सुरक्षा को सर्वोपरि रखना चाहिए। हमें जागना और जागना होगा। स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति लोकतंत्र में हमें फायदा दे रहा है या नुकसान यह सोचना होगा।
इनफ्लुएंस ऑफ सोशल मीडिया ऑन चिल्ड्रन /यंग जेन जी*
सेशन में प्रियांक कानूनगो और हर्ष ने चर्चा करते हुए कहा कि वामपंथी देशों ने सोशल मीडिया के जरिए लिव इन और पोर्न की लत लगाने का प्रयास किया है। ताकि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को ध्वस्त किया जा सके। बालिकाओं के प्रति कम्युनल जेंडर क्राइम हो रहा है। यह तब है जबकि दूसरे देशों में 38 वर्ष के मुकाबले भारत में काम करने वालों की एवरेज आयु 29 वर्ष है। भारत में 90 करोड़ की युवा आबादी सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि सामाजिकता की लड़ाई लड़ने के लिए स्वयं के विचारधारा को विकसित करना होगा। सोशल मीडिया के सही उपयोग के लिए स्वदेशी प्लेटफार्म विकसित करने होंगे।