
दिव्यराष्ट्र, जयपुर: “कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अब हाशिये से मुख्यधारा में आ चुकी है। यह वित्तीय सेवाओं के डिज़ाइन, वितरण और अनुभव के तरीकों को बदल रही है, जिससे दक्षता, समावेशन और लचीलापन के नए द्वार खुल रहे हैं,” नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष और स्वतंत्र निदेशक श्री अजय कुमार चौधरी ने मुंबई में आयोजित 6वें ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (GFF) 2025 में अपने विशेष मुख्य वक्तव्य के दौरान कहा।
“ए.आई का वादा और खतरा: समावेशी वित्त के लिए जिम्मेदार बुद्धिमत्ता का निर्माण” विषय पर बोलते हुए श्री चौधरी ने कहा कि जहाँ एआई अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर रही है, वहीं यह जटिल चुनौतियाँ भी ला रही है जिनसे निपटने के लिए विवेकपूर्ण शासन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि बैंकिंग, बीमा, पूंजी बाजार और भुगतान क्षेत्रों में एआई में निवेश 2027 तक लगभग 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। 2023 में जहाँ केवल 55% वित्तीय संस्थान किसी एक कार्य में एआई का उपयोग कर रहे थे, वहीं अब यह संख्या 78% तक पहुँच चुकी है। “अब उद्योग यह नहीं पूछ रहा कि एआई महत्वपूर्ण है या नहीं, बल्कि यह सोच रहा है कि यह हमें कितनी दूर और कितनी तेज़ी से ले जाएगी। असली सवाल यह है कि क्या हम इस शक्ति का विवेकपूर्ण उपयोग करेंगे,” उन्होंने कहा।
श्री चौधरी ने एआई क्रांति के दो प्रमुख आयामों — जेनरेटिव एआई, जो बड़े पैमाने पर निर्माण और विश्लेषण कर सकती है, और एजेंटिक एआई, जो स्वतः जटिल कार्यों को पूरा कर सकती है – को रेखांकित करते हुए कहा कि ये तकनीकें धोखाधड़ी पहचान, अनुपालन स्वचालन, ट्रेडिंग सटीकता और ग्राहक अनुभव में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं। प्रारंभिक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि वैश्विक बैंक इन तकनीकों के माध्यम से प्रति वर्ष 200 से 340 अरब अमेरिकी डॉलर की उत्पादकता वृद्धि हासिल कर सकते हैं।