5000 यकृत प्रत्यारोपण कर स्वास्थ्य-सेवा में बड़ी उपलब्धि हासिल
मुंबई, दिव्यराष्ट्र*- अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप- अपोलो लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के तहत 5000 सफल यकृत प्रत्यारोपण (लिवर ट्रांसप्लांट) पूरे कर, भारतीय एवं दक्षिण एशियाई स्वास्थ्यसेवाओं में बड़ी उपलब्धि का जश्न मना रहा है। इसी के साथ अपोलो भारत एवं क्षेत्र में इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने वाला पहला हॉस्पिटल ग्रुप बन गया है। यह उपलब्धि 25 सालों के चिकित्सकीय इनोवेशन, सहानुभूतिपूर्ण देखभाल का नतीजा है। इस अवधि के दौरान ग्रुप 50 से अधिक देशों में अंतिम अवस्था के यकृत रोगों से जूझ रहे लोगों को उम्मीद की किरण देने के मिशन की ओर अग्रसर रहा है। कई उपलब्धियां सबसे पहले हासिल करने की यात्रा 15 नवम्बर 1998 को भारत के पहले सफल पीडिएट्रिक लिवर ट्रांसप्लांट के साथ अपोलो हॉस्पिटल्स ने एशिया में लिवर केयर (यकृत की देखभाल) के मायने ही बदल दिए। यह पहला यकृत प्रत्यारोपण 20 माह के बच्चे संजय पर किया गया था, जो बाइलरी एट्रेसिया से पीड़ित था। यह अपने आप में ऐतिहासिक सफलता थी। जानलेवा बीमारी पर जीत हासिल करने के बाद एक डॉक्टर और अब एक पिता बनने की उनकी कहानी अपोलो हेल्थकेयर की क्षमता को दर्शाती है, जो न सिर्फ लोगों बल्कि पूरे परिवारों एवं समुदायों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाने के दिशा में निरंतर प्रयासरत है।
डॉ प्रताप सी रेड्डी, संस्थापक एवं चेयरमैन, अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप ने कहा,‘‘यह उपलब्धि भारतीय चिकित्सा जगत में, जो कुछ भी संभव है, उसे नया आयाम देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जब 1998 में हमने पहला प्रत्यारोपण किया, तब मैंने ऐसे भविष्य का सपना देखा था जहां हर ज़रूरतमंद मरीज़ को विश्वस्तरीय इलाज मिल सके, फिर चाहे वह किसी भी भोगौलिक क्षेत्र में रहता हो। आज 5000 यकृत प्रत्यारोपण का आंकड़ा पार करना इसी दृष्टिकोण के साकार होने का प्रमाण है तथा हमारे सहानुभूतिपूर्ण डॉक्टरों एवं स्टाफ के जज़्बे को सम्मान भी है।’
पिछले दो दशकों में अपोलो के ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम के तहत कई मुश्किल सर्जरियों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है जैसे एबीओ-इनकम्पेटिबल, कम्बाइन्ड लिवर-किडनी ट्रांसप्लान्ट, व्यस्कों एवं बच्चों- दोनों तरह के मरीज़ों में प्रत्यारोपण- यहां तक कि मात्र 4 महीने और 3.5 किलो के बच्चे में इन मुश्किल प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान की बात करें तो अपोलो लिवर ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम एकमात्र लिवर ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम है जिसे भारत सरकार द्वारा जारी स्मारक डाक टिकट से सम्मानित किया गया है।
डॉ मधु ससिधर-प्रेज़ीडेन्ट एवं सीईओ, अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप ने कहा,‘‘हमें यह देखकर गर्व का अनुभव होता है कि किस तरह इस प्रोग्राम का प्रभाव आंकड़ों के दायरे से कहीं आगे बढ़ गया है- नई पीढ़ी के ट्रांसप्लान्ट सर्जनों के प्रशिक्षण से लेकर आधुनिक अनुसंधान तक, इस प्रोग्राम ने नए क्लिनिकल बेंचमार्क स्थापित किए हैं। ये उपलब्धियां न सिर्फ अपोलो के लिए सम्पूर्ण भारतीय चिकित्सा जगत के लिए भी प्रेरणा एवं महत्वाकांक्षा का स्रोत हैं।’’
15 नवम्बर 1998 से 10 अक्टूबर 2025 के बीच अपोलो लिवर ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम ने 5001 प्रत्यारोपण पूरे किए हैं, जिसमें 4391 प्रत्यारोपण व्यस्कों पर, 611 बच्चों पर किए गए हैं, साथ ही 700 प्रत्यारोपण मृतक डोनर से हुए तथा 73 प्रत्यारोपण ऐसे हुए, जिनमें यकृत और गुर्दा दोनों का प्रत्यारोपण एक साथ हुआ (यानि कम्बाइन्ड लिवर-किडनी ट्रांसप्लान्ट)। 90 फीसदी से अधिक सफलता दर के साथ यह प्रोग्राम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रोग्रामों में से एक है, जहां आधुनिक टेक्नोलॉजी, बहु-आयामी विशेषज्ञता और ट्रांसप्लान्ट को-ऑर्डिनेटर्स का मजबूत राष्ट्रीय नेटवर्क तालमेल में काम करते हैं।