
अंतरराष्ट्रीय चर्चा में ‘इमीडिएट लोड’ और रोबोटिक सर्जरी पर मुहर
ओएसइकॉन 2025 की घोषणा
जयपुर:, दिव्यराष्ट्र*/ आयोजन अध्यक्ष डॉ गौरव पाल सिंह ने बताया कि दुनिया भर के अग्रणी दंत सर्जनों ने हाल ही में ‘इमीडिएट लोड इम्प्लांट डेंटिस्ट्री’ (तुरंत लोड होने वाले दंत प्रत्यारोपण) पर एक उच्च-स्तरीय पैनल चर्चा में भाग लिया। इस चर्चा का मुख्य केंद्र ‘ऑल-ऑन-फोर’ और ‘जाइगोमैटिक इम्प्लांट’ जैसी उन्नत तकनीकें थीं, जिन्हें अब जयपुर में एक प्रीमियम सेंटर के माध्यम से आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।
आयोजन सचिव डॉ संकल्प मित्तल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे ।
इस पैनल में वियतनाम से डॉ. थान अन डो, यूएसए से डॉ. शंकर अय्यर, फ्रांस से डॉ. पास्कल, पुर्तगाल से डॉ. पालो मालो और स्वीडन से डॉ. थॉमस जैसे दिग्गज विशेषज्ञ शामिल थे।
हड्डी का विज्ञान चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि इम्प्लांट लगाने के बाद छह महीने के भीतर 95 प्रतिशत मामलों में जबड़े की हड्डी इम्प्लांट के चारों ओर मजबूती से जुड़ जाती है, जिसे दंत चिकित्सा की भाषा में ओसियोइंटीग्रेशन कहा जाता है।
साइंटिफिक चेयरमैन डॉ सतीश भारद्वाज ने बताया कि अमेरिका से आए डॉ. थॉमस एल्बर्टसन ने बताया कि टाइटेनियम इम्प्लांट टूटने की घटना बहुत ही दुर्लभ है, जबकि जिरकोनियम इम्प्लांट अभी नई सामग्री है और इसके दीर्घकालिक अध्ययन अभी सीमित हैं।
जॉइंट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ धवल गोयल ने बताया कि पैनल डिस्कशन में डिज़ाइन के महत्व पर चर्चा हुई ।जब डॉ. रमेश चौधरी ने डॉ. शंकर अय्यर से पूछा कि क्या इम्प्लांट का थ्रेड डिज़ाइन वाकई मायने रखता है, तो डॉ. अय्यर ने स्पष्ट किया कि केवल थ्रेड का डिज़ाइन ही नहीं, बल्कि इम्प्लांट का आकार, हड्डी का प्रकार, शुरुआती टॉर्क और थ्रेड की लंबाई भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि लम्बे थ्रेड हड्डी को काटने के बजाय धकेलते हैं, जिससे इम्प्लांट को ज्यादा स्थिरता मिलती है। पुर्तगाल के डॉ. पालो मालो ने भी इस बात का पुरजोर समर्थन किया।
जयपुर बना उन्नत दंत चिकित्सा का केंद्र*
ओसइकॉन 2025 के आयोजक अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. गौरव पाल सिंह और आयोजक सचिव प्रोफेसर डॉ. संकल्प मित्तल ने घोषणा की कि जयपुर अब ‘ऑल-ऑन-फोर’ और ‘इमीडिएट लोड’ दंत प्रत्यारोपण के लिए एक प्रीमियम केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है।
उत्तर भारत में रोबोटिक इम्प्लांट क्रांति*
डॉ. गौरव पाल सिंह और डॉ. संकल्प मित्तल उत्तर भारत के एकमात्र ऐसे दंत चिकित्सक हैं जो वर्तमान में ‘डायनामिक नेविगेशन टेक्नोलॉजी (एक्स-गाइड)’ का उपयोग करके इम्प्लांट लगा रहे हैं। यह तकनीक दुनिया भर में बहुत चुनिंदा सर्जनों द्वारा ही इस्तेमाल की जाती है, जो सर्जरी में सटीकता को अभूतपूर्व स्तर तक ले जाती है।
एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि वे भविष्य में जयपुर, भारत में रोबोटिक इम्प्लांट प्लेसमेंट की सुविधा प्रदान करने वाले पहले सर्जन होंगे। यह तकनीक दंत चिकित्सा सर्जरी को एक नई ऊंचाई देगी, जिससे मरीजों को बेहद सटीक, सुरक्षित और न्यूनतम इनवेसिव उपचार मिल सकेगा।
डॉ धवल गोयल ने सह सचिव ने बताया यह खबर उन सभी लोगों के लिए आशा की किरण है, जिनके दांत टूट चुके हैं या उन्हें किसी जटिल दंत समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सह अध्यक्ष डॉ एच एल गुप्ता ने बताया जयपुर अब अत्याधुनिक विश्व-स्तरीय दंत चिकित्सा उपचार के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया है।
डॉ आलोक भारद्वाज ने बताया कि ओसइकॉन मे पंद्रह सौ से दो हज़ार लोगो ने रजिस्ट्रेशन कराया और 200 शोध पत्र पढ़े गए
कांफ्रेंस एडवाइज़र डॉ हरीश भारद्वाज ने बताया कि कांफ्रेंस में ट्रेड फ़ेयर लगाया गया है,उन्होंने बताया कि कॉफरेंस में हुए लेक्चर्स में डॉ विनोद बिहानी ,डॉ डी के गुप्ता ,डॉ सतीश भारद्वाज ,डॉ पी के अग्रवाल ,डॉ नरेंद्र पड़ियार चेयर पर्सन रहे ।


