(डॉ .सीमा दाधीच) राजस्थान की राजधानी जयपुर जिसे धर्म नगरी यानी छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता हे। इस शहर की खास बात और खास पहचान यह है कि यहां सभी पर्व, उत्सव बड़े ही उल्लास के साथ मनाए जाते हैं। कार्तिक मास यानी अन्नकूट के आयोजन का माह। अन्य शहरों में अन्नकूट केवल गोर्वधन पर्व के दिन ही मनाया जाता है लेकिन जयपुर में एक माह तक आयोजन होते रहते हैं। जयपुर में सबसे बड़ा अन्नकूट उत्सव खोले के हनुमान मंदिर में मनाया जाता हैं जिसमें अनगिनत भक्त पंगत प्रसादी लेते है। चांवल, मूंग, कड़ी, सूजी का हलवा, पूरी और गडमड सब्जी, भूजिया भक्तों को परोसी जाती है। श्री नरवर आश्रम सेवा समिति के अध्यक्ष गिरधारी लाल शर्मा के अनुसार खोले के हनुमान मंदिर में प्रति वर्ष होने वाली अन्नकूट परसादी का यह 64वा वर्ष है। इसमें धर्म, जाति, ऊंच, नीच का भेद छोड़ कर लाखों लोग भगवान का प्रसाद ग्रहण करते है। यह आयोजन जयपुर ही नहीं पूरे राजस्थान के लिए एक मिसाल बन गया है। वर्ष 2017में सीमित समय में 1.25लाख लोगों ने अनुशासित ढंग से परसादी ग्रहण कर गोल्डन बुक्स ऑफ रिकॉर्ड में एक कीर्तिमान बनाया है। इस मंदिर में 59वर्ष पूर्व मात्र 2.5किलो ग्राम अन्न के साथ खोले के हनुमान जी के अन्नकूट की शुरुवात की गई थी। इस आयोजन की खास बात यह रहती है कि 61मंदिरों में परसादी का भोग लगता है। साथ ही मंदिर के पास ही एक पहाड़ी पर स्थित हड्डी शाह बाबा की दरगाह पर भी मंदिर की तरफ से परसादी ओर चद्दर भेजी जाती है। ओर दरगाह द्वारा स्वागत किया जाता है। इसी अवसर पर मंदिर व्यवस्था समिति द्वारा इस क्षेत्र की जयपुर वासियों को पहचान करवाने वाले राधे लाल चौबे की 94वीं जयंती भी मनाई जाएगी। राधे लाल चौबे जी ने इस मंदिर के विकास के लिए स्वयं का जीवन समर्पित कर दिया था। इस बार यह आयोजन 17नवम्बर को परम्परागत ढंग से मनाया जा रहा हैं। जयपुर शहर के प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में अपनी पहचान बना चुके खोले के हनुमान मंदिर पहाड़ियों के बीच होने के कारण बहुत ही सुंदर स्थल बन चुका है इसी स्थान पर पहाड़ी पर बने एक प्राचीन मंदिर को रोप वे से जोड़कर सरकार ने पर्यटकों को आकर्षित करने का काम किया है। सावन माह में इस स्थान पर विभिन्न प्रकार के आयोजन होते रहते हैं इस स्थान की खास बात यह है कि यहां हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई अवस्था में है मंदिर में हनुमान जी के स्थान के ऊपर राम दरबार का मंदिर भी बना हुआ है कई खंडों में बने इस मंदिर में शिव पंचायत, गायत्री मंदिर सहित कई प्रमुख पूज्य स्थल बने हुए है। अखंड धुना भी इस स्थान की प्रमुख पहचान है।