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भारत के साथ मुक्त व्यापार के पक्षधर हैं ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री कीर स्टोर्मर

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ब्रिटेन में लेबर पार्टी की जीत के नेपथ्य में भारत-वंशी
(दिव्यराष्ट्र के लिए संजीव ठाकुर की रिपोर्ट)

ब्रिटेन में लेबर पार्टी ने 650 सीटों में 326 सीटें लाकर जबरदस्त विजय -श्री प्राप्त की है और यह लगभग तय है कि अब लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ब्रिटेन के 48 में प्रधानमंत्री होंगे। ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी केवल 118 सीटे ही प्राप्त कर सकी थी । कंजरवेटिव पार्टी और ऋषि सुनक की हार के कई कारण वहां के राजनीतिक विश्लेषक गिनवाते हैं पहला कारण जो सबसे बड़ा है वह है एंटी इनकंबेंसी मतलब सत्ता के विरोध में आम जन् की नापसंदगी, 14 साल से कंजरवेटिव पार्टी ब्रिटेन में सत्ता में काबिज थी और ब्रिटेन की जनता अब बदलाव चाहती थी।

हालांकि प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बतौर वित्त मंत्री रहते हुए वहां का आर्थिक तंत्र मजबूत करने की कोशिश की इसके अलावा ऋषि सुनक ने बतौर वित्त मंत्री कोरोना कल में आम जनता की बहुत मदद की थी।दूसरा कारण ब्रिटेन की बेरोजगारी एवं आर्थिक अस्थिरता रही है कंजरवेटिव पार्टी के सत्ता में रहते रहते ब्रिटेन की मुद्रा स्फीति बहुत कमजोर हो गई थी बेरोजगारी चरम सीमा पर पहुंच गई और बैलेंस आफ ट्रेड भी गड़बड़ा गया था।

तीसरा बड़ा कारण ऋषि सुनक का भारतवंशी एवं बहुत अधिक धनवान होना भी था बताया जाता है कि सुनक की संपत्ति किंग चार्ल्स से भी ज्यादा आँकी गई है। ऋषि सुनक की गिनती आम आदमियों में नहीं होती है अतः वहां की जनता इस कारण भी ऋषि सनक की पॉलिसीस से और असहमत होती गई। चौथा और सबसे बड़ा कारण कंजरवेटिव पार्टी में अंदरुनी झगड़ा अपने चरम पर पहुंच गया था और यही कारण है कि आखिरी कार्यकाल में कई प्रधानमंत्री बदल दिए गए, इसके अलावा लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने कश्मीर में 370 लागू करने को देश का अंदरूनी मामला बता कर भारतवंशियों को अपने पक्ष में कर लिया था। उल्लेखनीय की भारतवंशियों की संख्या ब्रिटेन में काफी ज्यादा एवं प्रभावशाली है ऐसे में भारतवंशियों का समर्थन लेबर पार्टी को मिलने से लेबर पार्टी की एक तरफ़ा जीत हुई है।

लेबर पार्टी ने कश्मीर मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए भारतवंशियों को अपने पक्ष में साधने का काम पिछले दो वर्षों से लगातार किया जा रहा था और नतीजा लेबर पार्टी के पक्ष में काफी सुखद रहा। यह अलग मुद्दा है कि स्टोर्मर पहले अपने नेता जेरेम कार्बिन नेतृत्व में 370 हटाने के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय प्रस्ताव का समर्थन किया था पर बाद में लेबर पार्टी ने इस मुद्दे को हटाकर कश्मीर में धारा 370 लागू करने को भारत का अंदरूनी मामला बात कर खारिज कर दिया। अपनी जीत के प्रति आशावान लेबर पार्टी के नेता इस बात पर जोर दे रहे थे कि पार्टी की सत्ता में आते ही ब्रिटेन में एक नवीनीकरण युग का सूत्रपात किया जाएगा और सत्ता में आते ही इसकी शुरुआत कर दी जाएगी।

ऋषि सुनक में अपनी हर को स्वीकार करते हुए संपूर्ण जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है एवं उन्होंने उत्तरी इंग्लैंड से अपनी सीट जीतकर सेवा जारी रखने का संकल्प भी लिया है। मानवाधिकार अधिवक्ता कीर स्टोर्मर ऑक्सफोर्ड से शिक्षित हैं एवं ऋषि सुनक के जस्ट विपरीत एक नास्तिक अईश्वर वादी व्यक्ति हैं इनके पिता वामपंथी विचारों के थे पर अब इस बात पर यह निर्भर करता है कि स्टार्मर के प्रशासन में वामपंथ को कितनी तवज्जो मिलती है। स्टोर्मर पहली बार 1915 में लेबर पार्टी से सांसद चुने गए थे।

एजेंसियों के अनुसार स्टार्मर भारत के साथ नए एवं ताजा संबंधों के पक्षधर बताए जाते हैं वह भारत के साथ मुक्त व्यापार करने की हिमायती दिखाई देते हैं इसके अलावा भारत के साथ मजबूत संबंध रखकर शिक्षा,सुरक्षा और प्रौद्योगिकी में भी भारत के साथ साझेदारी करने के इच्छुक हैं। यह अलग मुद्दा है कि भारत के साथ संबंधों के सुधार की आवश्यकता को उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी उल्लेखित किया था वह अपने लेबर पार्टी के नेता जेरेम कार्बिन के विचारों के विपरीत विचारधारा के माने जाते हैं भारत के साथ संबंध एवं कश्मीर में 370 लागू करने के विरोध में ना जाकर भारत सरकार का साथ देने के पक्ष में उन्होंने अपना मंतव्य रखा था।

स्टोर्मर ने चुनाव के पहले ब्रिटेन के कई मंदिरों में जाकर भारतवंशियों के साथ नफरत को खत्म करने का प्रयास किया था उन्होंने स्पष्ट कहा था कि भारतीयों के साथ हिकारत की कोई जगह उनके व्यक्तित्व में नहीं है। उन्होंने इस धर्मनिरपेक्ष वक्तव्य को हिंदू समुदाय के मध्य दिवाली तथा होली में भी प्रचारित प्रसारित किया था जिसके चलते हिंदू समर्थक उनके प्रचार के नेपथ्य में आकर खड़े हो गए थे और हिंदू कम्युनिटी के समर्थन से ही लेबर पार्टी ने इतनी बड़ी विजय श्री प्राप्त की है। स्टार्मर ने अपनी नीति में स्पष्ट कहा है कि अमेरिका के साथ अच्छे संबंध को बनाने का प्रयास कर चीन से व्यापारिक तथा रणनीतिक दूरी बनाए रखने का प्रयास करेंगे।

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