जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ भारत में लोगों के लिए फ्रेंच साहित्य को और अधिक सुलभ बनाने के उद्देश्य से, फ्रेंच इंस्टीट्यूट इन इंडिया ने देश भर में स्वतंत्र बुकशॉप्स में ‘पार्डन माय फ्रेंच’ नाम से फ्रेंच कॉर्नर लॉन्च करने का निर्णय लिया है। यह कॉर्नर जयपुर में रजत बुक कॉर्नर में स्थापित किया गया है। इस बुक कॉर्नर में सभी भारतीय भाषाओं में अनुवादित फ्रेंच साहित्य उपलब्ध होगा, जिसमें क्लासिक्स से लेकर कंटेम्परेरी वर्क शामिल है। एमिल ज़ोला, अल्बर्ट कैमस, एनी एर्नाक्स जैसे कई फ्रांस के प्रख्यात लेखकों की फ्रेंच भाषा में पुस्तकें भी यहां उपलब्ध रहेंगी। इसके अतिरिक्त, यहां कैथरीन पौलेन जैसे कंटेम्परेरी लेखकों की रचनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला और बच्चों एवं युवा रीडर्स के लिए कई ग्राफिक नॉवल भी होंगे।
बुक कॉर्नर के उद्घाटन के अवसर पर, जयपुर में 28 कोठी में ‘कल्चर एंड रीडिंग’ पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस चर्चा के पैनल में डिजाइनर, ब्रिजिट सिंह; लेखिका/अनुवादक, सौदामिनी देव; एम्बैसी ऑफ फ्रांस इन इंडिया की बुक्स एंड आईडियाज ऑफिस की हेड, जूलिया ट्रौइलौड; बुक सेलर और क्यूरेटर, मोहित बत्रा और एलायंस फ्रांसेस ऑफ जयपुर, निदेशक, संजना सरकार शामिल रहे।
इस अवसर पर जूलिया ट्रौइलौड ने फ्रांस का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकारी नीतियों के कारण ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और बुकशॉप्स पर किताबें एक समान कीमत पर बेची जाती हैं। इससे स्वतंत्र बुक स्टोर्स के एक मजबूत नेटवर्क को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। भारत में रीडिंग कल्चर को बढ़ावा देने के लिए ऐसी पहल महत्वपूर्ण है।
वहीं संजना सरकार ने कहा कि यह पहल अनुवादित साहित्य को और अधिक सुलभ बनाने और जयपुर में फ्रेंच पुस्तकों को लोकप्रिय बनाने का एक तरीका है, जो वर्षों से लोगों की पसंदीदा बनी हुई हैं या जिसकी कंटेम्परेरी परिदृश्य में चर्चा होने लगी है।
मोहित बत्रा ने आज के डिजिटल युग में फिजिकल पुस्तकों और रीडिंग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि डिजिटल उपकरण फिजिकल पुस्तकों के ‘लुक’ और ‘फील’ से मेल खाने की कोशिश कर रहे हैं, यह इस बात का प्रमाण है कि पुस्तकें अधिक एडवांस्ड टेक्नोलॉजी है।
एक अनुवादक के रूप में, सौदामिनी देव ने इस पर प्रकाश डाला की किस प्रकार एक अनुवादक, अनुवाद के दौरान एक वाक्य के निर्माण के पीछे की बारीकियों को समझने में सक्षम होता है। ब्रिजिट सिंह ने विशेषकर बच्चों के लिए हिंदी और भारतीय भाषाओं में अधिक साहित्य उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने याद किया कि वे अंग्रेजी अनुवाद में फ्रेंच पुस्तकें पढ़ती थी, क्योंकि यही एकमात्र उपलब्ध संस्करण थे। उन्होंने आगे कहा कि लेकिन अब इस पहल की बदौलत लोग बच्चों के लिए द्विभाषी पुस्तकों सहित फ्रेंच भाषा में पुस्तकें खरीद सकेंगे।