
(डॉ.सीमा दाधीच, प्रधान संपादक दिव्यराष्ट्र)
दीपावली, जिसे दीपों का पर्व कहा जाता है, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का वह अनमोल रत्न है, जो हर दिल को रोशन करता है। यह केवल दीये जलाने या मिठाइयाँ बाँटने का अवसर नहीं, बल्कि यह आत्म-निरीक्षण, सामाजिक एकता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का महापर्व है। इस दीपावली, आइए हम अपने घरों के साथ-साथ समाज के हर कोने में प्रकाश फैलाने का संकल्प लें, ताकि यह उत्सव सही मायनों में समृद्ध और समावेशी बन सके।
इस पर्व का आर्थिक महत्व भी अनूठा है। मिट्टी के दीये, हस्तनिर्मित मिठाइयाँ, रंग-बिरंगी रंगोली और पारंपरिक सजावट न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखते हैं, बल्कि स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों के लिए आजीविका का स्रोत भी हैं। लेकिन इस चमक-दमक के बीच हमें पर्यावरण की रक्षा का दायित्व भी निभाना होगा। आतिशबाजी का धुआँ, प्लास्टिक की सजावट और बेकार की फिजूलखर्ची हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है। इस बार, आइए पर्यावरण-अनुकूल दीपावली मनाएँ—मिट्टी के दीये जलाएँ, प्राकृतिक रंगों से रंगोली सजाएँ और कम शोर वाले पटाखों का उपयोग करें। यह छोटा-सा कदम हमारी धरती को आने वाली पीढ़ियों के लिए और हरा-भरा बनाएगा।
संपादकीय: दीपावली का संदेश – प्रेम, समरसता और परोपकार
दीपावली का उजाला केवल बाहरी अंधेरे को ही नहीं, बल्कि हमारे मन के अंधेरे—अज्ञान, वैमनस्य और स्वार्थ—को भी दूर करने की प्रेरणा देता है। रामायण की कथा में भगवान राम की अयोध्या वापसी पर दीप जलाकर लोगों ने प्रेम और एकता का संदेश दिया था। आज, जब समाज में विभाजन और असमानता की दीवारें खड़ी हो रही हैं, दीपावली हमें इन दीवारों को तोड़कर एक-दूसरे के करीब लाने का अवसर देती है।
यह पर्व हमें परोपकार की भावना से जोड़ता है। दीपावली की चमक तब और बढ़ जाती है, जब हम अपने आसपास के जरूरतमंदों के चेहरों पर मुस्कान लाएँ। चाहे वह किसी गरीब बच्चे को मिठाई बाँटना हो, पुराने कपड़े दान करना हो, या किसी के जीवन को रोशन करने के लिए छोटा-सा सहयोग देना हो—ये छोटे प्रयास समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। साथ ही, कोविड-19 के बाद यह पहली दीपावली है, जब हम फिर से सामूहिक उत्सव का आनंद ले सकते हैं। लेकिन इस उल्लास में हमें स्वास्थ्य और सुरक्षा के नियमों का पालन करना होगा, ताकि हमारी खुशियाँ किसी के लिए असुविधा न बनें।
दीपावली का हर दीया हमें यह याद दिलाता है कि प्रकाश केवल तभी सार्थक है, जब वह दूसरों के जीवन को भी रोशन करे। आइए, इस दीपावली को प्रेम, समरसता और पर्यावरण-संरक्षण के रंगों से और भी सुंदर बनाएँ। यह पर्व न केवल हमारे घरों, बल्कि हमारे दिलों और समाज को भी उजाले से भर दे।