
(लेखकअजयभूपेश,अतिरिक्त मुख्य अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग़ राजस्थान )
प्रस्तावना: ग्रामीण भारत की रीढ़ – लेकिन संकटग्रस्त
भारत की लगभग 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। गांव न केवल कृषि उत्पादन का आधार हैं बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और अर्थव्यवस्था की नींव भी हैं। लेकिन पानी की कमी के कारण खेती संकट में है, जिससे गांवों का सामाजिक और आर्थिक ढांचा डगमगा रहा है।
2. पानी की कमी और उसका प्रभाव
* खेती पर असर: सिंचाई के अभाव में फसल उत्पादन घट रहा है। इससे किसानों की आमदनी कम हो रही है और कृषि अव्यवहारिक लगने लगी है।
* पलायन की मजबूरी: जब जमीन से आजीविका खत्म होती है, तो युवा और किसान शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर होते हैं।
* गांवों की अर्थव्यवस्था पर चोट: पलायन के कारण गांवों में श्रमशक्ति कम हो जाती है और ग्रामीण उद्योग भी कमजोर पड़ते हैं।
3. शहरों में पलायन के परिणाम
* शहरों पर दबाव: तेजी से बढ़ती जनसंख्या शहरों की बुनियादी सुविधाओं (पानी, बिजली, आवास) पर बोझ डालती है।
* अपराध दर में वृद्धि: पलायन कर आए युवाओं को स्थिर रोजगार न मिलने पर वे कभी-कभी गलत रास्तों पर चल पड़ते हैं।
* परिवार और बच्चों पर असर: जब पिता या कमाने वाला सदस्य गांव छोड़ देता है, तो बच्चों की पढ़ाई और देखरेख पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. नदियों का आपस में जुड़ाव: एक स्थायी समाधान
* पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना: नदियों को जोड़ने से सूखे और बाढ़ दोनों स्थितियों को संतुलित किया जा सकता है।
* किसानों के लिए स्थिरता: सालभर पर्याप्त सिंचाई मिलने से किसान अपनी जमीन पर टिके रहेंगे।
* ग्रामीण रोजगार और आत्मनिर्भरता: खेती के पुनर्जीवित होने से ग्रामीण रोजगार बढ़ेगा और गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
5. मीडिया और समाज की भूमिका
* प्रेरक कहानियों का प्रसारण: टीवी चैनलों और डिजिटल मीडिया को किसानों, सफल ग्रामीण उद्यमियों और नवाचारों की कहानियां दिखानी चाहिए।
* युवाओं को प्रेरणा: इससे गांवों के युवा अपनी जड़ों की ओर लौटने और कृषि या ग्रामीण उद्योगों में अवसर खोजने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
6. निष्कर्ष: संतुलित विकास की ओर
गांवों को मजबूत किए बिना भारत का विकास अधूरा है। पानी की स्थिरता, उचित नीति, और मीडिया की सकारात्मक भूमिका से हम न केवल ग्रामीण पलायन और शहरों में बढ़ते अपराध को नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि एक आत्मनिर्भर, संतुलित और समृद्ध भारत का निर्माण भी कर सकते हैं।