‘यूनफाइ टू नोटिफाइ’ का सरकार से आग्रह
नवी मुंबई, दिव्यराष्ट्र/अपोलो कैंसर सेंटर्स ने विश्व कैंसर दिवस पर एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है ‘यूनिफाइ टू नोटिफाइ’। इस अभियान में भारत सरकार से कैंसर को एक अधिसूचित बीमारी के रूप में वर्गीकृत करने का आग्रह किया गया है, जो इस बीमारी के खतरे से निपटने के लिए एक बहुत ज़रूरी कदम है। ‘यूनिफाइ टू नोटिफाइ’ अभियान भारत में कैंसर देखभाल में परिवर्तन लाने और कैंसर को एक अधिसूचित बीमारी के रूप में पहचानने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां हर कैंसर का मामला मायने रखता है, हर मरीज मायने रखता है, और भारत में बेहतर कैंसर देखभाल की दिशा में यात्रा में कोई भी डेटा पॉइंट खो नहीं जाता है।
भारत में हर साल 14 लाख से ज़्यादा कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। उम्मीद है कि 2025 तक उनकी संख्या बढ़कर 15.7 लाख हो जाएगी। कैंसर को अधिसूचित बीमारी के रूप में वर्गीकृत करने से: 1) रियल टाइम डेटा जमा होना और सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित होगी, जिससे बीमारी के पैमाने की एक स्पष्ट तस्वीर मिलेगी। 2) एपिडेमिऑलोजिकल विश्लेषण और टार्गेटेड इलाज रणनीतियों के माध्यम से मानकीकृत उपचार प्रोटोकॉल विकसित किए जाएंगे। 3) कैंसर के उपचार में सटीकता, दक्षता और पहुंच को बढ़ाया जाएगा, जिससे अंततः वैश्विक ऑन्कोलॉजी अनुसंधान और देखभाल में भारत की भूमिका मज़बूत होगी।
2022 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति ने राज्यसभा को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कैंसर को एक अधिसूचित बीमारी के रूप में वर्गीकृत करने की सिफारिश की गई थी। इस पहल के माध्यम से, उद्योग विशेषज्ञ उम्मीद कर रहे हैं कि भारत सरकार आगामी बजट सत्र में ऊपरी और निचले दोनों सदनों में इस विधेयक को पारित करके अगला तार्किक कदम उठाएगी।
डॉ. घनश्याम दुलेरा, प्रेसिडेंट-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), नवी मुंबई ने कहा,” आईएमए को राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री के बारे में पता है, उसमें दर्शायी गयी भारतीयों में कैंसर के मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, इस दर से भारत दुनिया का ‘कैंसर कैपिटल’ बन सकता है। दूसरा ट्रेंड है कि युवा आबादी में कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं। कैंसर देखभाल को बेहतर बनाने की मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से प्रयास करने की आवश्यकता है। अपोलो कैंसर सेंटर्स इस दिशा में कई पहल कर रहा है, खासकर बीमारी का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।”
डॉ अनिल डिक्रूज़, डायरेक्टर, ऑन्कोलॉजी-सीनियर कंसल्टेंट हेड एंड नेक, अपोलो हॉस्पिटल्स नवी मुंबई ने कहा,”कैंसर को अधिसूचित बीमारी बनाने से राज्य स्तर पर कैंसर पैटर्न की हमारी समझ में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। यह हमें कैंसर के प्रकारों और जोखिम कारकों में क्षेत्रीय विविधताओं की पहचान करने में मदद करेगा, जिससे हम अधिक टार्गेटेड रोकथाम कार्यक्रम बना पाएंगे। अपोलो कैंसर सेंटर्स ने देश भर में कैंसर सेंटर्स का एक नेटवर्क बनाया है, जो राज्य स्तर पर कैंसर डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। राज्य स्तर पर कैंसर के आंकड़ों का विश्लेषण करके, हम कैंसर के सबसे ज़्यादा मामलों वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं और इन असमानताओं को दूर करने के लिए टार्गेटेड हस्तक्षेप विकसित कर सकते हैं।”
अरुणेश पुनेथा, रीजनल सीईओ-पश्चिमी क्षेत्र, अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा,”कैंसर को एक अधिसूचित बीमारी बनाना एक परिवर्तनकारी कदम है, जो भारत में कैंसर की देखभाल के हमारे दृष्टिकोण में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। कैंसर के हर मामले के उचित दस्तावेज़ीकरण के साथ, हम पैटर्न को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं, संसाधनों को कुशलतापूर्वक आवंटित कर सकते हैं और टार्गेटेड उपचार प्रोटोकॉल विकसित कर सकते हैं। अपोलो कैंसर सेंटर्स में, हमने पहले से ही एक मज़बूत कैंसर रजिस्ट्री स्थापित की है, जिसने हमें कैंसर के रुझानों और परिणामों को ट्रैक करने में सक्षम बनाया है। अब हम उद्योग के विशेषज्ञों के अमूल्य समर्थन की मांग कर रहे हैं और भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह पूरे भारत में बेहतर कैंसर देखभाल और अनुसंधान को सक्षम करने के लिए ऊपरी और निचले दोनों सदनों में इस विधेयक को पारित करे।”