भारतीय शिल्पकार नरेश कुमार कुमावत की वैश्विक उपलब्धि
जयपुर, दिव्यराष्ट्र/ — भारतीय कला और आध्यात्म की वैश्विक प्रतिष्ठा को एक नई ऊँचाई प्रदान करते हुए, कनाडा के मिसिसॉगा स्थित हिंदू हेरिटेज सेंटर में भगवान श्रीराम की 51 फुट ऊँची प्रतिमा का भव्य लोकार्पण किया गया। यह प्रतिमा प्रसिद्ध भारतीय मूर्तिकार नरेश कुमार कुमावत द्वारा निर्मित की गई है और अब यह उत्तर अमेरिका में भगवान श्रीराम की सबसे ऊँची प्रतिमा है।
यह दिव्य मूर्ति गुरुग्राम स्थित मातु राम आर्ट सेंटर में विशेष स्टील फ्रेम पर तैयार की गई है। 51 फुट ऊँची यह प्रतिमा एक 7 फुट ऊँचे आधार पर स्थापित की गई है। इसकी प्रेरणा भगवान श्रीराम के आदर्शों धर्म, करुणा और मर्यादा से ली गई है, जो भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की अनन्त विरासत को दर्शाती है। यह मूर्ति उत्कृष्ट कारीगरी, आध्यात्मिक भावनाओं और आधुनिक इंजीनियरिंग कौशल का अद्भुत संगम है, जिसे सौ वर्षों से अधिक समय तक टिकाऊ बनाए रखने और प्रबल हवाओं का सामना करने के लिए विशेष तकनीक से निर्मित किया गया है।
प्रतिमा अनावरण समारोह एक भव्य सांस्कृतिक उत्सव के रूप में संपन्न हुआ, जिसमें 1.9 किलोमीटर लंबी शोभायात्रा, वैदिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रसाद वितरण जैसे आयोजन किये गए। इस अवसर पर स्थानीय नेताओं, गणमान्य व्यक्तियों एवं भारतीय प्रवासी समुदाय ने उत्साह से इसमें भाग लेकर इस प्रतिमा को भारतीय विरासत के एक वैश्विक प्रतीक के रूप में मान्यता प्रदान की।
मूर्तिकार नरेश कुमार कुमावत ने इस अवसर पर कहा, “यह प्रतिमा केवल एक कलाकृति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक सेतु है जो महाद्वीपों और पीढ़ियों को जोड़ती है।”
उन्होंने आगे कहा, “भगवान श्रीराम की दिव्यता को इस स्तर पर उत्तर अमेरिका में स्थापित होते देखना अत्यंत विनम्र अनुभव है। मेरी सबसे बड़ी आकांक्षा है कि यह मूर्ति भक्ति, सांस्कृतिक गौरव और एकता का शाश्वत प्रतीक बने और विश्वभर में भारतीय विरासत से प्रेम करने वालों को प्रेरित करती रहे।”
नरेश कुमार कुमावत को उनके भव्य सार्वजनिक शिल्प कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है। भारतीय मिथकों, स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक पहचान से जुड़े उनके शिल्प संसारभर के 80 से अधिक देशों में स्थापित हैं, जो उन्हें आधुनिक भारत के प्रमुख सार्वजनिक कलाकारों में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करते हैं।
मिसिसॉगा में श्रीराम प्रतिमा की स्थापना, कुमावत की प्रतिष्ठित कलात्मक यात्रा में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो न केवल भारत की सनातन आध्यात्मिक परंपरा को सम्मानित स्थान देती है, बल्कि यह दर्शाती है कि कला की शक्ति निस्सीम है।