सम्बलपुर, 01 दिसंबर, 2025 : देश के प्रमुख बी-स्कूल्स में से एक, भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) सम्बलपुर ने अपने इनोवेशन और इन्क्यूबेशन हब (आई-हब) का स्थापना दिवस संस्थान के इनोवेशन एवं उद्यमिता सम्मेलन ‘नवयुग 2.0’ के साथ मनाया। “मेेड इन भारत: लोकल रूट्स, ग्लोबल रूट्स” थीम पर आयोजित इस आयोजन ने छोटे शहरों और ग्रामीण समुदायों से उभर रहे जमीनी नवप्रवर्तकों को प्रोत्साहित करने के संस्थान के संकल्प को रेखांकित किया।
प्रभावी उद्यमिता पर केंद्रित आई-हब ने ऐसे स्टार्टअप्स को प्रदर्शित किया, जो ऑटिज़्म केयर से लेकर आदिवासी आजीविका, सतत फैशन से शहरी गतिशीलता, और छोटे व्यवसायों को डिजिटल माध्यम से सशक्त बनाने जैसे समाजिक मुद्दों पर कार्य कर रहे हैं। ये पहलें दिखाती हैं कि भारत की संस्कृति और समुदायों से जुड़े स्थानीय समाधान वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकते हैं।
आईआईएम सम्बलपुर ने सम्बलपुर विश्वविद्यालय और वीर सुरेन्द्र साई प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (वीएसएसयूटी) के साथ को-इन्क्यूबेशन समझौते कर क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत किया है, जिससे जमीनी स्तर पर नवाचार के लिए एक सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो सके। इस कार्यक्रम में पहले बैच के इन्क्यूबेट्स को सम्मानित किया गया, जबकि दूसरे बैच का स्वागत किया गया—जो स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बनाने में आई-हब की भूमिका को दर्शाता है।
कार्यक्रम में बोलते हुए आईआईएम सम्बलपुर के निदेशक प्रो. महादेव जायसवाल ने कहा, “किसी भी राष्ट्र की प्रगति अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता पर निर्भर करती है। स्टार्टअप्स सिर्फ अर्थव्यवस्था में योगदान नहीं करते, बल्कि सोचने के तरीके बदलते हैं और समस्याओं के समाधान की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। आईआईएम सम्बलपुर उन उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वास्तविक चुनौतियों का समाधान करते हैं, खासकर वे जो स्थानीय समुदायों को प्रभावित करती हैं।”
आईसीआईसीआई बैंक की नेशनल प्रोडक्ट हेड – स्टार्टअप इकोसिस्टम, रंजू सिगटिया ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा, “इकोसिस्टम से जुड़ें, उनसे सीखें जिन्होंने मार्ग बनाया है, और हर अवसर का उपयोग सार्थक प्रभाव पैदा करने के लिए करें।”
शिवतोष कुमार, को-फाउंडर, शुगर.फिट ने युवाओं को संदेश दिया, “सच्ची उद्यमिता उत्पाद लॉन्च करने में नहीं, बल्कि ऐसे समाधान बनाने में है जो समाज की वास्तविक सहायता करें। कुछ भी बनाने से पहले खुद से पूछें—क्या बाजार को इसकी जरूरत है, क्या यह लोगों की मदद करेगा, क्या यह टिकाऊ है?”
रणनीति और स्केलेबिलिटी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए योरनेस्ट वेंचर कैपिटल के एवीपी फाइनेंस, रजत चावला ने कहा, “वेंचर कैपिटल को समझना और उसे व्यवसाय मॉडल के साथ रणनीतिक रूप से जोड़ना बेहद जरूरी है। मुझे विश्वास है कि आने वाले दशक में आईआईएम सम्बलपुर की समुदाय वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने वाले उत्पादों को विकसित करने में अग्रणी रहेगी।”
पिछले एक वर्ष में आई-हब ने 80 से अधिक मेंटरशिप सत्र आयोजित किए, 30 मास्टरक्लासेज़ का संचालन किया और 27 स्टार्टअप्स का समर्थन किया—जिनमें बाजरे की खेती को बढ़ावा देने वाले उपक्रम, ग्रामीण महिलाओं के लिए पुन: प्रयोज्य सैनिटरी उत्पाद, बुनकरों को सशक्त बनाने की पहल, और ऑटिज़्म चाइल्डकेयर जैसी सेवाएं शामिल हैं। इन पहलों के माध्यम से आईआईएम सम्बलपुर जमीनी स्तर पर स्टार्टअप इकोसिस्टम को बदल रहा है।
आई-हब की भविष्य की पहलों के बारे में बताते हुए आईआईएम सम्बलपुर के इन्क्यूबेशन चेयरपर्सन, दिवाहर सुन्दर नादर ने कहा, “आई-हब जल्द ही बिजनेस क्लिनिक, महिलाओं के लिए विशेष इन्क्यूबेशन प्रोग्राम और मास्टरपीस इन्क्यूबेशन कार्यक्रम सहित कई नई पहल शुरू करेगा, ताकि जमीनी नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।”
अपने प्रमुख मिशन “100 क्यूब” के तहत, आईआईएम सम्बलपुर वर्ष 2036 तक 100 ऐसे स्टार्टअप्स को समर्थन देने का लक्ष्य रखता है, जो ₹100 करोड़ के मूल्यांकन तक पहुंच सकें। यह मिशन विशेष रूप से सम्बलपुरी वस्त्र, आदिवासी उद्यमिता, एग्रो-टेक और महिलाओं द्वारा संचालित उपक्रमों को प्राथमिकता देता है। नवाचार, सत्यनिष्ठा और समावेशिता को केंद्र में रखते हुए, आईआईएम सम्बलपुर ऐसे जिम्मेदार नेताओं का निर्माण कर रहा है जो जमीनी समाधानों को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर तक ले जाकर ‘विकसित भारत 2047’ के दृष्टिकोण में योगदान देंगे