
युवा चिंतन-भारत 2047 कार्यक्रम में बोले डॉ महेशचंद्र शर्मा
जयपुर| भारत के सामने कई चुनौतियां हैं और हमें उनका समाधान ढूंढना होगा। ऐसी ही एक बीमारी द्वि राष्ट्रवाद की है जिसको 1947 के बाद भी छुपाया गया, जो अब पहले से ज्यादा मुखरित है। राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति सभागार में युवा चिंतन भारत 2047 कार्यक्रम में संबोधित करते हुए वक्ता डॉ शर्मा ने कहा कि, भारत विभाजन के बाद भी द्वि राष्ट्रवादी लोग संविधान सभा में आए और उनको किसी बात का संकोच नहीं था। उन्होंने संविधान सभा में अनेक महत्वपूर्ण प्रस्तावों को भी सर्वसम्मति से पारित नहीं होने दिया। संविधान सभा में भी किसी ने मोतीलाल नेहरू समिति की रिपोर्ट का मुद्दा नहीं उठाया जिस रिपोर्ट में मुस्लिम पृथकतावाद को अस्वीकार कर दिया था। भारत विभाजन के समय भी बंगाल, पंजाब, सिंध और उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत में मुस्लिम लीग अल्पमत थी। सच्चाई यह है कि उसे समय दो तिहाई जनता विभाजन के खिलाफ थी फिर भी वह त्रासदी हो गई। वह त्रासदी अभी भी देश को दुखी कर रही है। अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक और हिंदू-मुसलमान अंग्रेज करके गए हैं। हम सभी एक जान एक संस्कृति और एक राष्ट्र है। हम सभी को समझदारी और साहस के साथ यह स्थापित करना होगा।
संविधान पर चर्चा करते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि पंडित नेहरू और अंबेडकर ने कहा था कि हम ऐसे किसी भी संविधान को स्वीकार नहीं करेंगे जिसमें आगे संशोधन नहीं हो सके। संविधान भारत के डीएनए में है हम ऐसे किसी भी मनमर्जी वाले शासन को स्वीकार करने की मानसिकता नहीं रखते हैं जो धर्म और नीति नियमों से नहीं चलता हो, हमें युगानुकूल विधान चाहिए। भारतवर्ष किसी मनमाने शासन की कल्पना नहीं करता है। महात्मा गांधी ने हिंद स्वराज में कठोर भाषा में लिखा था कि भारतीय संस्कृति दैवीय संस्कृति है और पाश्चात्य संस्कृति शैतानी है।
ऊर्जा विभाग में संयुक्त सचिव सौरभ स्वामी ने कहा कि हमारे यहां गुलामी की मानसिकता की समस्या है। वर्ष 2047 तक हमारा जो डेमोग्राफी डिविडेंड है वह कम हो जाएगी उसके हिसाब से योजना बनानी आवश्यक है। ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने कहा कि हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं, हम दृढ़ विश्वास रखें तो आगे काफी कुछ सुधार और सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं। इसके लिए युवाओं की प्रतिबद्धता आवश्यक है । कार्यक्रम में स्तंभ लेखक विनय कौड़ा, एडवोकेट अनुज शर्मा, देवकरण सैनी, जितेंद्र सिंह परमार, राम सिंह सांखला, श्रवण सिंह राठौड़, डॉ नीरज रावत, मीना रानी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राजेश मेठी ने किया।